महाराष्ट्र में सियासी हलचल तेज, एक के बाद एक बड़े नेताओं की आपस में हो रही मुलाकात
महाराष्ट्र में बीते कुछ समय से सियासी हलचल तेज है. एक के बाद एक बड़े नेताओं की आपस में हो रही मुलाकात से तमाम तरह की अटकलें लगनी शुरू हो गईं हैं. हाल ही में सीएम उद्धव ठाकरे ने दिल्ली में पीएम नरेंद्र मोदी से मुलाकात की. जिसके बाद शिवसेना सांसद संजय राउत ने पीएम की जमकर तारीफ की. वहीं पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस ने एनसीपी चीफ शरद पवार से मुलाकात की. इस बीच अब शुक्रवार को राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने भी मुंबई पहुंचकर शरद पवार से मुलाकात की है.
हालांकि, एनसीपी सांसद और शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले ने प्रशांत किशोर के साथ मुलाकात को गैर राजनीतिक करार दिया लेकिन एनसीपी के प्रवक्ता नवाब मलिक ने माना है कि इस मुलाकात में राजनीतिक चर्चा भी हुई है. कयास लगाया जा रहा है कि 2024 की राष्ट्रीय रणनीति की सुगबुगाहट शुरू हो गई है. एक कयास ये भी लगाया गया कि बंगाल चुनाव का रिजल्ट देखकर महाराष्ट्र में भी प्रशांत किशोर की सेवाओं का इस्तेमाल हो सकता है. लेकिन खुद प्रशांत किशोर ये साफ कर चुके हैं कि वो अब इस तरह की सेवाओं मे नहीं जाएंगे. कुछ अलग और बड़ा करने पर विचार हो सकता है. गौर करने की बात ये है कि शरद पवार के एनसीपी के 22वें स्थापना दिवस पर दिये अपने बयान "महाराष्ट्र में सरकार 5 साल चलेगी और 2024 में भी शिवसेना और एनसीपी साथ मिलकर चुनाव लड़ सकते हैं" के दूसरे ही दिन ये मुलाकात हुई है.
लेकिन ये पहली बार नही है कि प्रशांत किशोर महाराष्ट्र के नेताओं के साथ किसी चर्चा मे जुड़ रहे हों. 2019 के विधानसभा चुनाव के पहले आदित्य ठाकरे ने शिवसेना के लिये प्रशांत किशोर से संपर्क किया था और उनसे जुड़ी आईपैक ने आदित्य ठाकरे के साथ प्रचार में काम भी किया था. लेकिन कुछ बुनियादी मुद्दों पर शिवसेना और प्रशांत किशोर पूरी तरह साथ में काम नहीं कर पाये, जिस तरह उन्होंने टीएमसी के साथ किया.
वहीं सुप्रिया सुले भी प्रशांत किशोर के संपर्क में थीं और वो भी चाह रही थीं कि किशोर एनसीपी के साथ कैंपेन का काम करें लेकिन खुद शरद पवार तब इसके लिये तैयार नहीं थे. पारंपरिक राजनीति पर भरोसा करने वाले पवार प्रोफेशनल राजनीतिक रणनीतिकार की मदद से चुनाव लड़ने पर कुछ खास भरोसा नहीं करते. लेकिन अब स्थिति बदली है. बहुचर्चित बंगाल चुनाव में प्रशांत किशोर का करिश्मा और देश के अलग-अलग राज्यों में क्षेत्रीय नेताओं के साथ उनके रिश्ते 2024 के मद्देनजर उनकी अहमियत बढ़ाते हैं. शायद यही बात शरद पवार ने भी गौर की है.
हालांकि, महाराष्ट्र की राजनीति में हलचल तेज करने वाली और भी कई बैठकें हुई हैं. आइए एक नजर उनपर भी डाल लेते हैं...
शरद पवार-अमित शाह की अहमदाबाद में कथित मुलाकात
इस बैठक को कथित ही कहा जायेगा क्योंकि दोनों नेता एक वक्त एक ही शहर में देखे गये, लेकिन जहां एनसीपी ने दोनों नेताओं की मुलाकात की खबरों को खारिज किया वहीं अमित शाह ने भी इस पर संदेह कायम रखा. हालांकि चर्चा ये रही की उद्धव ठाकरे पर दबाव बनाये रखने के लिये पवार और शाह की कथित बैठक हुई होगी. इस बैठक के बाद स्वास्थ्य कारणों से करीब 2 महीने शरद पवार राजनीतिक गतिविधियों से दूर रहे थे.
देवेंद्र फडणवीस-शरद पवार की मुंबई में मुलाकात
शरद पवार जैसे ही अस्पताल से घर लौटे देवेंद्र फडणवीस उनसे मिलने उनके घर गये. हालांकि, इसकी जानकारी खुद फडणवीस ने ट्वीट कर दी और कहा कि वह सिर्फ हालचाल जानने के लिये उनसे मिले थे. गौरतलब है कि पवार और फडणवीस एक दूसरे के 'धुर विरोधी' रहे हैं, भले ही पवार के पीएम मोदी से लेकर दूसरे कई नेताओ से अच्छे संबंध रहे हों. फडणवीस ने 2019 में यहां तक कह दिया था कि महाराष्ट्र में शरद पवार की राजनीति अब खत्म हो चुकी है. माना जाता है कि एनसीपी-बीजेपी साथ नहीं आ पाए. इसका एक कारण ये भी माना गया है कि पवार ने फडणवीस को हटाने की शर्त रखी थी. गोपीनाथ मुंडे के बाद फडणवीस ऐसे बीजेपी नेता हैं, जिन्होंने सीधे पवार को निशाना बनाया था. इसके चलते फडणवीस का पवार के घर जाना रिश्ते सुधारने की तर्ज की तरह देखा गया.
पवार- उद्धव ठाकरे की मुंबई में मुलाकात
फडणवीस व पवार बैठक के बाद एनसीपी चीफ सीएम उद्धव ठाकरे से मिले थे. खबरें आईं कि उद्धव ने उनके पास एनसीपी के कुछ मंत्रियों के रवैये पर नाराजगी जताई, हालांकि दोनों पार्टियों ने इसका खंडन किया. लेकिन इससे एनसीपी और शिवसेना के रिश्तों और सरकार मे अनबन की खबरें तेज हुईं और इस पूरे मामले को फडणवीस-पवार और पवार-अमित शाह की 'कथित' बैठक से जोड़कर देखा जाने लगा.