पुलिस अफसर Vs सरकार: जब सुप्रीम कोर्ट बोला- कानून को मनमाने ढंग से नहीं चलाया जाना चाहिए
नई दिल्ली: परमबीर सिंह (Parambir Singh) बनाम महाराष्ट्र सरकार मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने महाराष्ट्र शासन के हाथ बांध दिए हैं. मंगलवार को मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस संजय किशन कौल ने कहा कि हम फाइनल बहस अगले हफ्तों में पूरी करेंगे, तब तक राज्य सरकार जांच के नाम पर कुछ भी न करें.
मामले की सुनवाई शुरू होते ही परमबीर सिंह ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष अपना पक्ष रखते हुए कहा कि महाराष्ट्र सरकार का अड़ियल रवैया दुर्भाग्यपूर्ण है. सुप्रीम कोर्ट के सीबीआई जांच करने के आदेश के बावजूद महाराष्ट्र सरकार ने सीबीआई की एफआईआर को बॉम्बे हाईकोर्ट में चुनौती दी हुई है. ऐसा पहले कभी देखा और सुना नहीं गया है.
परमबीर सिंह का पक्ष सुनने के बाद कोर्ट ने कहा कि यह मामला पूरी तरह के डगमगा गया है. जस्टिस संजय किशन कौल ने कहा कि इस दुर्भाग्यपूर्ण स्थित में सबसे ज्यादा आम जनमानस का विश्वास पुलिस व्यवस्था और जनप्रतिनिधियों के ऊपर से डगमगा जाता है. कानून को सर्वोपरि होकर अपना काम करते रहना चाहिए.
कोर्ट ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार इस मामले में अपनी जांच हफ्ते दस दिन के लिए स्थगित कर दे. अगले हफ्ते कोर्ट इस मामले को पूरी तरह निपटाने के लिए निर्णायक सुनवाई करेगा. तब तक महाराष्ट्र सरकार कुछ न करे.
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई 9 मार्च तक टालते हुए कहा कि अगली सुनवाई में हम तय करेंगे कि इस मामले की सीबीआई जांच हो या नहीं. परमबीर सिंह ने अपनी याचिका में अपने खिलाफ दर्ज मामलों की जांच सीबीआई से कराने की मांग की है. सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को नसीहत देते हुए कहा कि कानून को कानून की तरह ही तय प्रक्रिया के मुताबिक इस्तेमाल करें.
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट पहले भी चिंता जाहिर चुका है. पिछली सुनवाई में कोर्ट ने कहा था कि महाराष्ट्र में बहुत परेशान करने वाली तस्वीर है. जहां मुंबई के पूर्व आयुक्त परमबीर सिंह को अपनी ही पुलिस बल पर भरोसा नहीं है और राज्य सरकार को सीबीआई पर भरोसा नहीं है.