नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जिले के भारतीय जनता पार्टी के सबसे पुराने कार्यकर्ता और पूर्व विधायक नारायण उर्फ भुलई भाई का 111 वर्ष की उम्र में निधन हो गया है। जिसको लेकर पीएम मोदी समेत भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने शोक व्यक्त किया है।
पीएम मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, "राजनीति और समाज सेवा में अमूल्य योगदान देने वाले नारायण जी का देहावसान एक अपूरणीय क्षति है। वे भाजपा के सबसे पुराने और कर्मठ कार्यकर्ताओं में शामिल रहे हैं, जिन्हें हम भुलई भाई के नाम से भी जानते हैं। जन कल्याण से जुड़े उनके कार्यों को सदैव याद किया जाएगा। शोक की इस घड़ी में मैं उनके प्रशंसकों और परिजनों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करता हूं।"
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी शोक व्यक्त करते हुए एक्स पर पोस्ट में लिखा, "भाजपा के सबसे पुराने कार्यकर्ताओं में एक नारायण जी उर्फ भुलई भाई का निधन अत्यंत दुःखद है। देशहित व राष्ट्रप्रथम के प्रति समर्पित भुलई भाई, जनसंघ से लेकर भाजपा के माध्यम से युवाओं को सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के लिए प्रेरित करते रहे। उनसे हुई मुलाकात में विचारधारा व राष्ट्रवाद के प्रति उनका उत्साह, आज भी मुझे याद आता है। दुःख की इस घड़ी में पूरा भाजपा परिवार उनके परिजनों के साथ है। ईश्वर दिवंगत आत्मा को श्रीचरणों में स्थान दें।"
पूर्व विधायक नारायण उर्फ भुलई भाई लंबे समय से अस्वस्थ थे। कोविड-19 महामारी के दौरान वह तब चर्चा में आए थे, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके स्वास्थ्य के बारे में जानकारी ली थी। वहीं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी उनके स्वास्थ्य के बारे में जानकारी ली थी।
2022 में जब योगी आदित्यनाथ दोबारा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री चुने गए तो भुलई भाई शपथ ग्रहण समारोह में बतौर विशेष अतिथि लखनऊ आए थे। वहीं लखनऊ में भाजपा कार्यकर्ता सम्मेलन में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंच से नीचे आकर कार्यक्रम में मौजूद भुलई भाई को सम्मानित किया था। पूर्व विधायक नारायण उर्फ भुलई भाई लंबे समय से अस्वस्थ थे और उम्र संबंधी बीमारियों से जूझ रहे रहे थे। उन्हें ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखा गया था। जहां गुरुवार शाम को उनके पैतृक आवास पर उनकी मौत हो गई।
भुलई भाई जनसंघ के नेता दीनदयाल उपाध्याय से प्रेरित होकर राजनीति में आए थे। 1974 में वह कुशीनगर की नौरंगिया सीट से दो बार जनसंघ के विधायक बने। अपने राजनीतिक जीवन में भुलई भाई शुचिता और ईमानदारी के पर्याय थे। 1980 में भाजपा के गठन के बाद भुलई भाई पार्टी के निष्ठावान कार्यकर्ता बने रहे।