प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट, सुप्रीम कोर्ट से बड़ी खबर

Update: 2024-12-12 10:31 GMT
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को पूजा स्थल (विशेष उपबंध) अधिनियम, 1991 के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई शुरू हुई. मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ ने स्पष्ट रूप से कहा कि इस मामले की अगली सुनवाई तक मंदिर-मस्जिद से जुड़े किसी भी नए मुकदमे को दर्ज नहीं किया जाएगा.
CJI ने कहा, "हम एक बात स्पष्ट करना चाहते हैं कि अगली सुनवाई तक कोई नई याचिका दायर नहीं हो सकती." अदालत ने सभी पक्षकारों से कहा कि वे अपने तर्क पूरी तरह तैयार रखें ताकि मामले को तेजी से निपटाया जा सके.
पूजा स्थल अधिनियम, 1991, धार्मिक स्थलों की स्थिति को 15 अगस्त 1947 के आधार पर संरक्षित करता है और इसमें बदलाव करने पर रोक लगाता है. हालांकि, इस कानून में अयोध्या के राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद को बाहर रखा गया था.
सुप्रीम कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए तारीख तय की है और तब तक स्थिति को यथावत रखने का निर्देश दिया है.
प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 की वैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. चीफ जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस के वी विश्वनाथन की स्पेशल बेंच इस मामले की सुनवाई की.
सुनवाई के दौरान क्या रखे गए तर्क
केंद्र सरकार का पक्ष:
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने केंद्र सरकार की ओर से कहा कि सरकार हलफनामा दाखिल करेगी.
CJI ने केंद्र को निर्देश दिया कि वे अपना जवाब दाखिल करें और उसकी प्रति याचिकाकर्ताओं को दें.
CJI की टिप्पणियां:
CJI ने कहा कि इस मामले की विस्तृत सुनवाई नहीं होगी क्योंकि यह अभी लंबित है.
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इस मामले से संबंधित कोई नया सूट दाखिल नहीं होगा.
CJI ने कहा कि कई सवाल उठाए गए हैं, जिन पर अदालत सुनवाई करेगी.
याचिकाकर्ताओं की दलील:
वरिष्ठ वकील राजू रामचंद्रन ने कहा कि अलग-अलग अदालतों में कुल 10 सूट दाखिल हुए हैं और इनमें आगे की सुनवाई पर रोक लगाई जानी चाहिए.
केंद्र सरकार का विरोध:
केंद्र सरकार ने इस मांग का विरोध किया. SG तुषार मेहता ने कहा कि कोई भी प्राइवेट पार्टी सूट पर रोक लगाने की मांग कैसे कर सकती है.
मुस्लिम पक्ष की दलील:
मुस्लिम पक्ष ने बताया कि देशभर में 10 स्थानों पर 18 सूट दाखिल किए गए हैं.
उन्होंने अनुरोध किया कि जब तक प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला नहीं आता, सभी मामलों की सुनवाई पर रोक लगाई जाए.
प्रमुख लंबित मामले:
सुप्रीम कोर्ट ने उल्लेख किया कि मथुरा का मामला और दो अन्य सूट पहले से ही अदालत के समक्ष लंबित हैं.
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