हिंसक प्रदर्शनों की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल, एसआईटी गठित करने की मांग
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देश की तीनों सेनाओं में भर्ती के लिए अग्निपथ योजना के अनावरण के बाद से हिंसक प्रदर्शन चौथे दिन भी जारी हैं। देश के कई हिस्सों में इस योजना के खिलाफ प्रदर्शन हो रहे हैं। इस बीच शनिवार को सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है जिसमें हिंसक प्रदर्शनों की जांच के लिए एसआईटी गठित करने की मांग की गई है। इन हिंसक प्रदर्शनकों के दौरान रेलवे समेत सार्वजनिक संपत्तियों को भारी नुकसान पहुंचा है।
अग्निपथ योजना के खिलाफ विभिन्न राज्यों में व्यापक हिंसक प्रदर्शन और सार्वजनिक संपत्तियों को नुकसान न केवल कानून के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है बल्कि ऐसी घटनाओं पर सुप्रीम कोर्ट की ओर से दिेए गए विभिन्न फैसलों के खिलाफ भी है।
इसी तरह के हिंसक प्रदर्शनकों पर सुप्रीम कोर्ट पहले टिप्पणी कर चुका है कि 'किसी को भी कानून का स्वयंभू संरक्षक बनने और दूसरों पर कानून की अपनी व्याख्या जबरन, खासकर हिंसक तरीकों से थोपने का अधिकार नहीं है।'
इस संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट ने पिछले कुछ वर्षों में अहम निर्देश भी जारी किए हैं जिनमें संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने वाले हिंसक विरोध प्रदर्शनों में शामिल संगठनों के नेताओं पर अभियोग चलाना, ऐसी घटनाओं पर हाईकोर्ट से स्वत: संज्ञान लेने के लिए कहना और पीड़ितों को मुआवजा प्रदान करना शामिल है।
केंद्र सरकार ने मंगलवार को थल सेना, नौसेना और वायुसेना में सैनिकों की भर्ती के लिए एक नई 'अग्निपथ योजना' का एलान किया है। इस योजना के तहत बढ़ते वेतन और पेंशन खर्च को कम करने के लिए संविदा के आधार पर अल्पकाल के लिए सैनिकों की भर्ती की जाएगी जिन्हें अग्निवीर कहा जाएगा। योजना के मुताबिक, तीनों सेनाओं में सैनिक चार साल की अवधि के लिए भर्ती किए जाएंगे। उसके बाद उन्हें बिना पेंशन के रिटायर्ड कर दिया जाएगा। हालांकि भर्ती अग्निवीरों में 25 फीसदी की बहाली जारी रहेगी।
योजना के खिलाफ देशभर के अलग-अलग हिस्सों में प्रदर्शन जारी हैं। प्रदर्शन के बीच केंद्र ने योजना में बदलाव भी किए हैं लेकिन आक्रोशित युवा बहाली की पुरानी प्रणाली को लागू करने की मांग पर अड़े हुए हैं।