सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को चुनौती देने वाली याचिका खारिज, SC ने कहा- वहां प्राइवेट प्रॉपर्टी नहीं बन रही

Update: 2021-11-23 09:31 GMT

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को लुटियंस दिल्ली के सेंट्रल विस्टा क्षेत्र में भूमि उपयोग में प्रस्तावित बदलाव करने वाली केंद्र सरकार की अधिसूचना को रद्द करने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया। अधिसूचना के तहत उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री निवास सहित अन्य के लिए भूमि उपयोग में प्रस्तावित बदलाव की बात है। जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस सीटी रविकुमार की पीठ ने कहा कि जब तक याचिकाकर्ता यह आरोप नहीं लगाता कि प्रस्तावित बदलाव दुर्भावना से ग्रसित है तब तक कोर्ट हस्तक्षेप नहीं कर सकता क्योंकि यह नीतिगत मामला है।

पीठ ने अपने आदेश में कहा है, 'याचिकाकर्ता ने यह तर्क नहीं दिया है कि भूमि उपयोग में परिवर्तन एक दुर्भावनापूर्ण तरीके से किया गया है। यह याचिकाकर्ता का तर्क है कि चूंकि पूर्व में यह मनोरंजन क्षेत्र था इसलिए इसे उसी तरह बनाए रखा जाना चाहिए था। यह न्यायिक समीक्षा का दायरा नहीं हो सकता है। यह संबंधित अथॉरिटी का काम है। यह सार्वजनिक नीति का मामला है।' पीठ , आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय द्वारा 28 अक्तूबर, 2020 को जारी उस अधिसूचना की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
याचिकाकर्ता राजीव सूरी की ओर से पेश वकील शिखिल सूरी द्वारा तर्क दिया गया था कि अधिसूचना संविधान के अनुच्छेद-21 का उल्लंघन है। यह दिल्ली के निवासियों को सेंट्रल विस्टा में हरे व खुले स्थान से वंचित करेगी। साथ ही उनका कहना था कि इसके लिए मुवावजा नहीं दिया गया। याचिकाकर्ता ने यह भी तर्क था कि केंद्र सरकार ने भारत के लोगों से संबंधित सेंट्रल विस्टा क्षेत्र में मुक्त खुली जगहों को हड़पने के इरादे से अधिसूचना जारी करके जनता के विश्वास को धोखा दिया। याचिका में कहा गया है, 'सेंट्रल विस्टा नई दिल्ली और शायद भारत में सबसे अधिक पोषित खुली जगह है, जो उनकी राष्ट्रीयता का प्रतीक है। इस अधिसूचना के तहत खुली जगहों के साथ समझौता किया जा रहा है।

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