पेगासस जासूसी मामला: आज सुप्रीम कोर्ट जांच पैनल की रिपोर्ट पर कर सकता है विचार

Update: 2022-05-20 00:56 GMT

दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट आज पेगासस जांच मामले में सुनवाई करेगा. चीफ जस्टिस एनवी रमणा, जस्टिस एल नागेश्वर राव और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ सुनवाई करेगी. भारत के मुख्य न्यायाधीश एन वी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति आर वी रवींद्रन की अध्यक्षता वाली समिति द्वारा प्रस्तुत अंतरिम रिपोर्ट पर विचार कर सकती है. मामले से जुड़े लोगों के अनुसार, रिपोर्ट अंतरिम है क्योंकि इसके कुछ पहलुओं का विश्लेषण किया जाना बाकी है. जांच समिति अपनी रिपोर्ट दर्ज करने के लिए कोर्ट से और समय मांग सकती है क्योंकि कमेटी ने 18 अप्रैल को सभी राज्यों के डीजीपी को पत्र लिखकर पूछा था कि क्या उन्होंने इजरायली स्पाइवेयर खरीदा है.

सुप्रीम कोर्ट में भी दायर याचिका के मुताबिक इसके जरिए 2019 में ही भारत में कम से कम 1400 लोगों के पर्सनल मोबाइल या सिस्टम की जासूसी हुई है. दावा किया गया है कि 40 मशहूर पत्रकार, विपक्ष के तीन बड़े नेता, संवैधानिक पद पर आसीन एक महानुभाव, केंद्र सरकार के दो मंत्री, सुरक्षा एजेंसियों के कई आला अफसर, दिग्गज उद्योगपति भी शामिल हैं.

समिति के सामने अब तक वरिष्ठ पत्रकार एन राम, सिद्धार्थ वरदराजन और प्रांजॉय गुहा ठाकुरता समेत 13 लोगों ने अपना पक्ष रखा था. पेगासस सॉफ्टवेयर जासूसी से प्रभावित होने का दावा करने वालों में से दो लोगों ने अपने मोबाइल फोन फॉरेंसिक जांच के लिए कमेटी को सौंपे हैं.

सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में भी मीडिया रिपोर्ट्स के हवाले से ये जिक्र है कि भारत सरकार ने 2017 में जब इजराइल से दो अरब डॉलर का सौदा कर मिसाइलें खरीदी थीं तो उसी के साथ पेगासस स्पाई वेयर भी खरीदा था. हालांकि केंद्र सरकार ने इस दावे और सवाल को संसद और सुप्रीम कोर्ट में सिरे से खारिज कर दिया था.

पेगासस के कथित अवैध उपयोग की स्वतंत्र जांच की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में 12 याचिकाएं दाखिल हुईं थीं. इन याचिकाओं की मांग पर कोर्ट ने कहा था, "याचिकाकर्ताओं ने कुछ ऐसी बातों को रिकॉर्ड में रखा है जो इस कोर्ट द्वारा विचार करने योग्य हैं. सरकार की ओर से इन तथ्यों का विशेष खंडन नहीं किया गया है. भारत संघ ने अपने हलफनामे में आरोपों से इनकार किया है, जो पर्याप्त नहीं हो सकता है. ऐसी स्थिति में इस मामले को स्वीकार करने के अलावा कोई और विकल्प नहीं है."

केंद्र ने दिया था राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला

सुनवाई के दौरान केंद्र ने एक संक्षिप्त हलफनामा दायर कर अपने ऊपर लगे आरोपों को स्पष्ट रूप से नकारते हुए कहा कि यह मामला राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा है, जिसके कारण वह सार्वजनिक हलफनामे में ब्योरा नहीं देना चाहता और इसे सार्वजनिक बहस का विषय नहीं बनाना चाहता. इसने कहा कि वह विशेषज्ञों की एक समिति को ब्योरा देगी जो इस मुद्दे की जांच करेगी. केंद्र सरकार ने अदालत से समिति के गठन की अनुमति देने का आग्रह किया. पीठ ने कहा कि "निजता के अधिकार का सीधे तौर पर उल्लंघन होता है जब किसी व्यक्ति पर राज्य या किसी बाहरी एजेंसी द्वारा निगरानी या जासूसी की जाती है और यदि राज्य द्वारा किया जाता है, तो इसे संवैधानिक आधार पर उचित नहीं ठहराया जाना चाहिए."

क्या है पेगासस

पेगासस एक जासूसी सॉफ्टवेयर का नाम है. इस वजह से इसे स्पाईवेयर भी कहा जाता है. इसे इजरायली सॉफ्टवेयर कंपनी NSO Group ने बनाया है. NSO Group का बनाया पेगासस एक जासूसी सॉफ्टवेयर है जो टारगेट के फोन में जाकर डेटा लेकर इसे सेंटर तक पहुंचाता है. इस सॉफ्टवेयर के फोन में इंस्टॉल होते ही फोन सर्विलांस डिवाइस के तौर पर काम करने लगता है. इससे एंड्रॉयड और आईओएस दोनों को टारगेट किया जा सकता है.


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