पेगासस मामला: सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई कल, कोर्ट ने नियुक्त की थी तीन सदस्यीय समिति

Update: 2022-02-22 01:18 GMT

दिल्ली। पेगासस जासूसी मामले (Pegasus Case) पर दाखिल की गई याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) 23 फरवरी को सुनवाई करेगा. इससे पहले, न्यायालय ने पिछले साल अक्टूबर में इस मामले पर सुनवाई की थी. उस समय कोर्ट ने भारत में कुछ लोगों की निगरानी के लिए इजराइली स्पाइवेयर का इस्तेमाल किए जाने के आरोपों की जांच के लिए साइबर विशेषज्ञों का तीन सदस्यीय एक पैनल गठित करने का आदेश दिया था.

प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति एन वी रमण, न्यायमूर्ति सूर्यकांत एवं न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने 12 जनहित याचिकाओं को 23 फरवरी को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है. इनमें 'एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया', पत्रकारों-एन राम और शशि कुमार की याचिकाएं भी शामिल हैं. इस दौरान उस रिपोर्ट की समीक्षा भी की जा सकती है, जिसे शीर्ष अदालत द्वारा नियुक्त पैनल को दाखिल करने को कहा गया था. कोर्ट ने भारत में राजनीतिक नेताओं, अदालती कर्मियों, पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं सहित विभिन्न लोगों की निगरानी के लिए इजराइली स्पाईवेयर पेगासस के इस्तेमाल के आरोपों की जांच के लिए साइबर विशेषज्ञ, डिजिटल फॉरेंसिक, नेटवर्क एवं हार्डवेयर के विशेषज्ञों की तीन सदस्यीय समिति नियुक्त की थी और जांच की निगरानी की जिम्मेदारी शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति आर. वी. रवींद्रन को सौंपी थी.

इससे पहले पेगासस स्पाइवेयर जासूसी कांड से कथित तौर पर प्रभावित केवल दो व्यक्तियों ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित तकनीकी समिति को अपने फोन सौंपे थे, जिसके कारण समिति को समय-सीमा बढ़ानी पड़ी, ताकि और भी लोग उसके समीप पहुंचें. तकनीकी समिति ने यह समय सीमा आठ फरवरी कर दी थी, ताकि वैसे और भी लोग समिति से संपर्क कर सकें, यदि उन्हें संदेह है कि उनके फोन में पेगासस स्पाइवेयर का हमला हुआ है.

यह निर्णय पेगासस स्पाइवेयर मामले में हालिया आरोपों के बीच लिया गया था. न्यूयार्क टाइम्स में हाल ही में प्रकाशित रिपोर्ट में दावा किया गया था कि भारत ने 2017 में इजरायल के साथ दो अरब डॉलर के रक्षा सौदों के हिस्से के तौर पर पेगासस स्पाइवेयर लिया था. तकनीकी समिति की ओर से प्रमुख समाचार पत्रों में जारी सार्वजनिक नोटिस में कहा गया था कि उसकी पहली अपील के दौरान केवल दो व्यक्तियों ने अपने मोबाइल फोन समिति को सौंपे हैं ताकि उसकी डिजिटल छवि ली जा सके.

नोटिस में कहा गया था, ''इसलिए तकनीकी समिति एक बार फिर उन सभी से आठ फरवरी तक समिति से सम्पर्क का अनुरोध करती है जिनके पास यह मानने का पर्याप्त कारण मौजूद है कि उनके मोबाइल फोन पेगासस स्पाइवेयर से प्रभावित हैं.'' पिछले माह जारी नोटिस में सात जनवरी, 2022 तक की समय सीमा निर्धारित की गयी थी.

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