नई दिल्ली: मनी लॉन्ड्रिंग केस में फंसे पूर्व TMC नेता पार्थ चटर्जी के केस में पहली बार पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी खुलकर बचाव करते दिखीं. ममता ने कहा कि मामला (SSC घोटाले में पार्थ चटर्जी की गिरफ्तारी) विचाराधीन है. अभी तक कुछ भी साबित नहीं हुआ है. मीडिया ट्रायल चल रहा है. बीजेपी मीडिया, न्यायपालिका, राजनीतिक दलों को डरा रही है.
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने ये भी कहा कि बीजेपी लोगों की आजादी छीनने के लिए पेगासस का इस्तेमाल कर रही है. लोगों के घरों से पैसे लूटने के लिए ईडी और सीबीआई का इस्तेमाल कर रही है. बता दें कि इससे पहले जुलाई में पार्थ की गिरफ्तारी के दो दिन बाद ममता ने चुप्पी तोड़ी थी और कहा था कि मैं भ्रष्टाचार का समर्थन नहीं करती हूं. सभी लोग एक जैसे नहीं होते हैं. मैं चाहती हूं कि सच्चाई एक समय सीमा में सामने आए.
ममता ने ये भी कहा था कि अगर दोषी साबित पाए जाते हैं तो उम्रकैद की सजा दिए जाने में भी मुझे कोई आपत्ति नहीं है. उन्होंने आगे कहा कि मैंने जीवनभर राजनीति की है. ये अपने निजी फायदे के लिए नहीं की. मेरे लिए राजनीति ही जनसेवा है. राजनीति लोगों से प्यार करने और देश की सेवा करने के बारे में है. ये मैंने अपने शिक्षकों, माता-पिता से सीखा है.
बता दें कि जब जुलाई में ईडी ने पार्थ की गिरफ्तारी के लिए जरूरी प्रोसेस के तहत किसी सगे संबंधी को कॉल करने की छूट दी तो उन्होंने सबसे पहले ममता बनर्जी को ही कॉल करने की इच्छा जाहिर की थी. हालांकि, चार बार कॉल करने के बावजूद पार्थ की ममता से बात नहीं हो पाई थी.
वहीं, ममता सरकार के एक्शन के बाद पार्थ चटर्जी ने भी बयान दिया था. जब उनसे पार्टी से हटाने के फैसले के बारे में पूछा गया तो उन्होंने सिर्फ इतना कहा कि ये वक्त ही बताएगा. पहली रेड के बाद ममता बनर्जी ने कहा था कि वो पैसा अर्पिता का है, लेकिन जब दूसरी रेड में भी नोटों का अंबार निकला तो सीएम को भी सख्त एक्शन लेना पड़ा.
दरअसल, जुलाई में SSC घोटाले के मामले में ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग का एंगल सामने आने के बाद तत्कालीन मंत्री पार्थ चटर्जी के ठिकानों पर छापा मारा था. ईडी की टीम सबसे पहले पार्थ की करीबी अर्पिता मुखर्जी के घर पहुंची. यहां पहली बार में 21 करोड़ 90 लाख रुपए मिले थे. इसके बाद दूसरी बार ईडी ने अन्य ठिकाने पर रेड मारी तो 27 करोड़ 90 लाख कैश और 4 करोड़ से ज्यादा का सोना मिला था. इस मामले में बीजेपी ने हमला बोला था. बाद में TMC ने पार्थ को पार्टी से निकाल दिया और ममता सरकार में मंत्री पद से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था.