संसद ने दिल्ली के लिए संवैधानिक सिद्धांतों को निरस्त किया

Update: 2023-07-22 03:53 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि पांच सदस्यीय संविधान पीठ दिल्ली के लिए कानून बनाने की संसद की शक्तियों के दायरे पर विचार करेगी और साथ ही यह भी देखेगी कि क्या दिल्ली सरकार से सेवाओं पर नियंत्रण छीनने के लिए कानून बनाकर वह शासन के संवैधानिक सिद्धांतों को निरस्त कर सकती है।

कोर्ट ने बड़ी पीठ के लिए दो कानूनी सवाल किए तय

केंद्र सरकार के अध्यादेश के विरुद्ध दिल्ली सरकार की याचिका गुरुवार को संविधान पीठ को संदर्भित करते हुए शीर्ष अदालत ने अपने 10 पेज के आदेश में बड़ी पीठ के लिए दो कानूनी सवाल तय किए हैं। प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस मनोज मिश्र की पीठ ने अपने आदेश में कहा, 'संविधान पीठ के लिए हम ये प्रश्न संदर्भित करते हैं-

1. अनुच्छेद 239-एए(7) के तहत कानून बनाने की संसद की शक्तियों का दायरा क्या है?

2. क्या अनुच्छेद 239-एए(7) के तहत अपनी शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए संसद राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली (एनसीटीडी) के लिए शासन के संवैधानिक सिद्धांतों को निरस्त कर सकती है?

'प्रधान न्यायाधीश द्वारा लिखे गए आदेश में कहा गया है कि दो प्रारंभिक मुद्दे हैं जो बड़ी पीठ द्वारा विचार के लिए उठाए गए हैं। आदेश के मुताबिक, 'पहला धारा-3ए (अध्यादेश की) को जोड़ने पर है। धारा-3ए एनसीटीडी के विधायी अधिकार क्षेत्र से सूची-2 (राज्य सूची) की प्रविष्टि-41 को हटाती है।

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की सरकार अधिनियम, 1991 में संशोधन किया गया

एनसीटीडी के विधायी अधिकार क्षेत्र से प्रविष्टि-41 को हटाने से एनसीटीडी सेवाओं पर कार्यकारी शक्तियों से वंचित हो गई है क्योंकि कार्यकारी शक्तियां विधायी शक्तियों से जुड़ी हुई हैं।' आदेश के मुताबिक, अध्यादेश के जरिये दिल्ली की राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की सरकार अधिनियम, 1991 में संशोधन किया गया है और इसमें धारा-3ए जोड़ी गई है।

धारा-3ए कहती है कि राष्ट्रीय राजधानी में सेवाओं के नियंत्रण पर दिल्ली विधानसभा कानून नहीं बना सकती।आदेश के मुताबिक, 'अनुच्छेद-239एए(7)(ए) के प्राथमिक अध्ययन से संकेत मिलता है कि अनुच्छेद-239एए में एनसीटीडी के लिए बनाए गए वर्तमान संवैधानिक ढांचे को कानून के जरिये नहीं बदला जाएगा।

नियमों को लेकर है विरोधाभास

लेकिन अनुच्छेद-239एए(7)(बी) का प्राथमिक अध्ययन बताता है कि अनुच्छेद-239एए(7)(ए) के तहत बनाया गया कानून एनसीटीडी के शासन के वर्तमान संवैधानिक ढांचे को बदल सकता है।' लिहाजा दिल्ली शासन के संवैधानिक ढांचे के संबंध में कानून बनाने की शक्ति की प्रकृति पर दो प्रविधानों के बीच इस स्पष्ट विरोधाभास को इस अदालत द्वारा हल करने की आवश्यकता है।

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