पंचायत सचिव ने जिस महिला को बताया मृत, वो पहुंची कलेक्टर के पास

हैरान रह गए IAS अफसर भी

Update: 2023-08-24 01:17 GMT

मध्य प्रदेश। गुना से हैरान करने वाला मामला सामने आया है. यहां साल 2017 में पंचायत सचिव ने महिला को मृत घोषित कर दिया. इस कारण महिला को उसके पति के नाम से मिलने वाली पेंशन बंद हो गई. इसके अलावा वो मतदान भी नहीं कर पा रही है. महिला पिछले छह साल से खुद को जीवित बताने के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रही है.

दरअसल, मामला गुना जिले के ग्राम काबर बमोरी का है. यहां आदिवासी महिला सुमली बाई पिछले छह वर्षों से खुद को जीवित बताने की कोशिश कर रही है. मगर, अफसरों की लापरवाही के चलते ये काम पूरा नहीं पो रहा है. इस कारण से उसको कई सरकारी योजनाओं का लाभ मिलना भी बंद हो गया है. महिला के पति सुभान सिंह की मौत हो चुकी है. पति की मौत के बाद उसे पेंशन योजना का लाभ मिलता था. मगर, 2017 के बाद से उसके पेंशन योजना का लाभ मिलना भी बंद हो गया है.

इसके बाद आदिवासी महिला सुमली बाई ने मुख्यमंत्री हेल्पलाइन पर भी इस मामले की शिकायत की. मगर, कोई नतीजा नहीं निकला. पीड़ित महिला पिछले छह साल से सरकार कागजात में खुद को जीवित करने की कोशिश कर रही है. लेकिन, सिस्टम के आगे वो लाचार नजर आ रही है. महिला के साथ उसका बेटा भी ये लड़ाई लड़ रहा है. जिला प्रशासन द्वारा महिला को पिछले छह वर्षों से आश्वासन दिया जा रहा है. लेकिन, अब तक उसे सरकारी रिकॉर्ड में जिंदा नहीं किया गया है. इसके बाद महिला ने कलेक्टर तरुण राठी के सामने दस्तावेज पेश किए. उसने बताया कि 2017 में पंचायत सचिव ने जानबूझकर उसे कागजों में मृत घोषित कर दिया था. इसके कारण उसे पेंशन योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है. इसके अलावा वो वोट भी नहीं डाल पा रही है. महिला ने जनसुनवाई में पहुंचकर खुद के जीवित होने का प्रमाण दिया तो कलेक्टर भी हैरान रहे गए.

इस मामले में कलेक्टर तरुण राठी ने बताया कि महिला की शिकायत पर जांच के आदेश दिये गए है. पहली नजर में ये लिपिकीय त्रुटि दिखाई दे रही है. इसमें जल्द से जल्द सुधार कर लिया जाएगा. साथ ही महिला को पेंशन योजना का लाभ भी दिया जाएगा.

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