सांगठनिक बदलाव: 'बूढ़े फौजी क्या संभाल लेंगे कांग्रेस की कमान, प्रियंका गांधी उत्तर प्रदेश से हटने की आशंका'

कांग्रेस पार्टी में एक बड़ी भूमिका युवा नेता सचिन पायलट का इंतजार कर रही है।

Update: 2021-07-22 17:58 GMT

कांग्रेस पार्टी में एक बड़ी भूमिका युवा नेता सचिन पायलट का इंतजार कर रही है। कांग्रेस के अंदरखाने से निकलकर आ रही खबरों के मुताबिक अगले कुछ दिनों में पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी कुछ बड़े कदम उठाने वाली हैं। वह उत्तर प्रदेश के प्रभार से महासचिव प्रियंका गांधी को मुक्त कर सकती हैं। पंजाब के बाद फिलहाल उनका सबसे अधिक ध्यान छत्तीसगढ़ पर है। 

छत्तीसगढ़ से राजस्थान तक कम करना है टेंशन
 कांग्रेस मुख्यालय तक वह अपनी बात पहुंचा भी रहे हैं। दूसरा बड़ा महत्वपूर्ण जिला राजस्थान है। यहां मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जल्द ही अपने मंत्रिमंडल का विस्तार कर सकते हैं। इसमें सचिन पायलट के करीबी चार मंत्रियों को शामिल किया जा सकता है। इसके अलावा नगर निगम में भी सचिन पायलट के करीबियों को जगह मिल सकती है। बताते हैं सचिन पायलट खुद राजस्थान में अशोक गहलोत के मंत्रिमंडल में शामिल होने के इच्छुक नहीं हैं।
कांग्रेस अध्यक्ष के संदेश वाहकों ने उन्हें केंद्रीय राजनीति में आने का प्रस्ताव दिया है। सब कुछ सही रहा तो उन्हें कांग्रेस मुख्यालय में कांग्रेस महासचिव का रुतबा और कांग्रेस मुख्यालय 24 अकबर रोड में कार्यालय मिल सकता है। इतना ही नहीं गुर्जर समाज का प्रतिनिधित्व करने वाले सचिन पायलट को पश्चिमी उत्तर प्रदेश का प्रभार सौंपकर कांग्रेस पार्टी नया गुल खिलाने का सपना देख सकती है। लेकिन इसमें बहुत कुछ अभी भविष्य की गर्त में छिपा है।
सचिन पायलट को उत्तर प्रदेश से जोड़ने के पीछे कांग्रेस पार्टी की एक दूरगामी सोच कारण में बताई जा रही है। पार्टी को 2021 के विधानसभा चुनाव में बहुत कुछ खास होने की संभावना नजर रहीं आ रही है। ऐसे में महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा को पिटा मोहरा साबित होने से बचाने के लिए वहां से निकालना और पूरे देश की राजनीति में उनकी भूमिका बढ़ाना जरूरी हो गया है। दूसरे सचिन पायलट युवा, धारदार नेता हैं। वह पार्टी के कुछ नेताओं को उत्तर प्रदेश में प्रियंका के विकल्प के रूप में दिखाई दे रहे हैं।
पंजाब और राजस्थान के प्रभारी भी बदलेंगे, दिल्ली में भी होगा खेल
दिल्ली प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अनिल चौधरी कोई नया पैंतरा नहीं चल पा रहे हैं। इसकी चिंता दिल्ली के कांग्रेसियों को है। राजस्थान के प्रभारी अजय माकन भी दिल्ली में राजनीति के लिए बेताब हैं। दूसरे अजय माकन राजस्थान में अशोक गहलोत और सचिन पायलट के खेमे में समन्वय बिठा पाने में भी सफल नहीं हो पाए थे। माना जा रहा है कि माकन से राजस्थान का प्रभार लिया जा सकता है। उन्हें कोई और जिम्मेदारी दी जा सकती है। अनिल चौधरी के ऊपर भी संकट के बादल मंडरा रहे हैं। लेकिन जयप्रकाश अग्रवाल के लिए अच्छी खबर है। वह पंजाब के प्रभारी हरीश रावत का स्थान ले सकते हैं।
हरीश रावत को मिल सकता है उत्तराखंड में अवसर
हरीश रावत का मन पंजाब में नहीं लग रहा है। कैप्टन अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू के मुद्दे ने शांत, सरल, सहज तरीके से राजनीति करने वाले हरीश रावत को खाफी खिन्न कर दिया था। एक बार तो उनकी भूमिका केवल संदेशवाहक की हो गई थी। खैर, हरीश रावत ने खुद ही कांग्रेस अध्यक्ष से पंजाब के प्रभार से मुक्त करने की गुजारिश की थी। इसकी पूरी संभावना है कि जल्द उनकी इच्छा पूरी हो सकती है। हरीश रावत उत्तराखंड में अगली पारी खेलने के उत्सुक हैं। रावत को लग रहा है कि चार महीने के भीतर दो मुख्यमंत्री बदल देने वाली भाजपा में कुछ ठीक नहीं चल रहा है। अब इंदिरा हृदयेश भी नहीं रहीं। रावत के अधिकांश विरोधी कांग्रेसी अब भाजपा की सरकार में मंत्री हैं। दूसरे राज्य की जनता मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के अंदाज से खुश नहीं हैं। ऐसे में प्रस्तावित विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की सरकार बनने के पूरे आसार हैं। हरीश रावत इसका पूरा लाभ लेना चाहते हैं।
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