पीएम नरेंद्र मोदी को खुला खत, पूर्व जज और नौकरशाहों ने कही यह बात

Update: 2022-04-30 10:29 GMT

फाइल फोटो 

नई दिल्ली: पूर्व न्यायाधीशों, लोक सेवकों और सशस्त्र बलों के अधिकारियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक खुला खत लिखा है. पत्र में देश में बढ़ते सांप्रदायिक तनाव का जिक्र किया गया है. इसे लिखने वालों में आठ पूर्व जज, 97 पूर्व नौकरशाह तथा 92 सेना के पूर्व अफ़सर हैं.

ओपन लैटर में कहा गया है कि पीएम मोदी पर देश के लोगों का भरोसा है. लेकिन ये बात कुछ लोगों को रास नहीं आ रही है. ऐसे में कुछ लोग तरह-तरह के हथकंडे अपना रहे हैं. हाल के चुनावों में ये बात सामने आ गई थी कि लोग पीएम मोदी पर भरोसा कर रहे हैं. लेकिन कुछ लोगों की ओर से सामाजिक भावनाएं भड़काने का काम किया जा रहा है, दरअसल ऐसे लोग इसी तरह से अपनी निराशा दूर करने की कोशिश करते हैं.
ओपन लैटर में राम नवमी और हनुमान जयंती के मौके पर दिल्ली, राजस्थान और मध्य प्रदेश में हुई हिंसक घटनाओं का भी जिक्र किया गया है. कहा है कि ये चिंता का विषय है. क्योंकि कई त्योहारों पर शांतिपूर्वक जुलूस निकल जाते हैं, लेकिन इस तरह के हमले नियोजित प्रतीत होते हैं. इसके साथ ही कहा गया है कि गुजरात और दिल्ली में जिस तरह से हिंसा के बाद कार्रवाई की गई, इससे मानवाधिकारों का उल्लंघन होता है. इसका गरीब जनता पर विपरीत असर पड़ता है. भले ही वह किसी भी धर्म के हों, लेकिन उन्हें मुसीबत झेलनी पड़ रही है.
पीएम मोदी ओपन लैटर लिखने वाले पूर्व न्यायाधीशों में जस्टिस प्रमोद कोहली, जस्टिस आरएस राठौर, जस्टिस पीएन रविंद्रन, जस्टिस हरिहरन नायर, जस्टिस चिदंबर्स, जस्टिस एमसी गर्ग, जस्टिस आरके मार्थिया और जस्टिस राजीव लोचन शामिल हैं. इसके साथ ही दो पूर्व विदेश सचिव कंवल सिब्बल और शशांक के अलावा पूर्व रॉ चीफ संजीव संजीव त्रिपाठी ने भी अपनी बात लिखी है.
पश्चिम बंगाल में हुई हिंसा इतनी गंभीर थी कि कोलकाता उच्च न्यायालय को दखल देना पड़ा. लिहाजा राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने स्वतंत्र रूप से जांच की. जिसमें पश्चिम बंगाल सरकार और तृणमूल कांग्रेस का निंदनीय रवैया उजागर हो गया. क्योंकि इतने गंभीर मुद्दों पर प्रदेश सरकार का दृष्टिकोण चिंतनीय है.
Tags:    

Similar News

-->