सौर मंडल में सिर्फ 9 ग्रह, लेकिन NASA ने खोजे 5000 से ज्यादा बाहरी ग्रह
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जनता से रिश्ता वेबडेस्क: ज्यादा पुरानी बात नहीं है. जब हम सिर्फ यह जानते थे कि सौर मंडल में सिर्फ 9 ग्रह हैं. जो सूरज के चारों तरफ चक्कर लगाते रहते हैं. लेकिन अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) के टेलिस्कोपों की मदद से हमें पता चला कि सौर मंडल के बाहर भी कई ग्रह हैं. पिछले 30 सालों से अब तक नासा ने 5000 से ज्यादा बाहरी ग्रह खोज निकाले हैं.
21 मार्च 2022 को नासा ने 65 नए एक्सोप्लैनट्स की खोज की. इसके साथ ही उन्होंने यह जानकारी दी कि हमनें 5000 से ज्यादा बाहरी ग्रह खोज लिए हैं. ये 65 एक्सोप्लैनेट्स हमारे सौर मंडल से ठीक बाहर मिले हैं. इनकी जानकारी NASA एक्सोप्लैनेट आर्काइव में रखी गई है. यहीं से एक्सोप्लैनेट्स की जानकारियों का पीयर रिव्यू किया जाता है. साइंटिफिक पेपर्स में रिपोर्ट प्रकाशित होती है. कई तरह की जांच पड़ताल होती है.
जो एक्सोप्लैनेट्स खोजे गए हैं, उनमें से कुछ छोटे और पथरीले हैं, जैसे हमारी धरती. कुछ बड़े गैस के गोले हैं, जैसे कि बृहस्पति. कुछ बेहद गर्म है सूरज की तरह. कुछ तो सुपर अर्थ हैं. यानी हमारी धरती से कई सौ गुना ज्यादा बड़े और जीवन की संभावना को मजबूती देने वाले. तो कुछ बुध और नेपच्यून से छोटे या उनके जैसे हैं.
पासाडेना स्थित कालटेक के नासा एक्सोप्लैनेट साइंस इंस्टीस्ट्यूट में रिसर्च साइंटिस्ट जेसी क्रिश्चियनसेन ने कहा कि ये सिर्फ संख्याएं नहीं हैं. ये सब के सब अपने आप में एक नई दुनिया हैं. ये नए ग्रह हैं. हम हर एक ग्रह के बारे में सोचकर खुश और रोमांचित होते हैं, क्योंकि हमें इन ग्रहों के बारे में अभी कुछ भी नहीं पता है. इनकी स्टडीज चल रही हैं.
हमें पता है कि हमारी आकाशगंगा में करोड़ों ग्रह हैं. इनकी खोज शुरु हुई थी 1992 में. जब एक नए तारे की खोज हुई. उसके साथ उसके ग्रह भी दिखाई दिए. वह एक न्यूट्रॉन स्टार था. जिसे आमतौर पर पल्सर (Pulsar) कहते हैं. ये तेजी से घूमते हुए अचानक तरंगें छोड़ते हुए दिखते हैं फिर अगले ही सेकेंड्स गायब हो जाते हैं. सेकेंड्स के अंतर पर आने वाली रोशनी की गणना करके ही ग्रहों की खोज शुरु की गई थी.
एक्सोप्लैनेट्स की स्टडी करने वाले साइंटिस्ट एलेक्जेंडर वोल्सजैन ने कहा कि शुरुआत में सिर्फ 3 ग्रहों की खोज ने नए दरवाजे खोल दिए. 30 साल पहले सौर मंडल के बाहर पहली बार कोई ग्रह मिला था. अगर आप किसी न्यूट्रॉन स्टार के आसपास कोई ग्रह खोज सकते हैं, तो आप हर जगह ग्रहों की खोज कर सकते हैं. क्योंकि ये ब्रह्मांड रहस्यों से भरा हुआ है.
एलेक्जेंडर ने कहा कि साल 2018 में लॉन्च किए गए द ट्रांजिटिंग एक्सोप्लैनेट सर्वे सैटेलाइट (TESS) ने तो काफी ज्यादा एक्सोप्लैनेट खोजने में मदद की. अब जेम्स वेब स्पेस टेलिस्कोप (JWST) लॉन्च किया गया है. यह भी भविष्य में अंतरिक्ष में मौजूद सुदूर ग्रहों और तारों को खोजेगा. उन पर जीवन संभव है या नहीं पता लगाएगा. साल 2027 में द नैंसी ग्रेस रोमन स्पेस टेलिस्कोप (TNGRST) लॉन्च किया जाएगा.
साल 2029 में यूरोपियन स्पेस एजेंसी (ESA) ARIEL मिशन लॉन्च करेगी. यह एक्सोप्लैनेट के वायुमंडलों का अध्ययन करेगा. नासा की नई टेक्नोलॉजी इसमें लगी होगी, जिसे CASE कहा जा रहा है. ये एक्सोप्लैनेट के बादलों और धुधंले वातावरणों की स्टडी करेगा. यानी कुल मिलाकर बाहरी ग्रहों की खोज के लिए कई तरीकों का इस्तेमाल होगा.
यह सारा कुछ सिर्फ इसलिए हो रहा है कि ऐसे ग्रहों की खोज की जा सके, जहां पर जीवन संभव हो. वहां पर जाकर कॉलोनी बनाने की शुरुआत हो सके. लेकिन हर ग्रह इस तरह का नहीं होता. साल 1995 में जो पहला ग्रह पुख्ता तौर पर मिला था, वह सूरज की तरह चमकने वाला तारा था. एक गर्म बृहस्पति ग्रह की तरह गैस जायंट. यह चार दिन में अपने तारे का एक चक्कर लगाता है. यानी पूरा साल चार दिन में खत्म.
इसलिए यह जरूरी है कि एक्सोप्लैनेट्स पर जीवन की खोज जारी रहे. जहां भी जीवन की संभावना हो, उसकी सही तरीके से स्टडी करने के बाद वहां पर यान भेजा जाए. अगर इन सबसे पुख्ता सबूत मिलते हैं तो फिर वहां पर लैंडर और रोवर भेजकर स्टडी की जाए. अगर सबकुछ सही रहता है तो फिर इंसानों को उस ग्रह पर भेजने की तैयारी की जाए.