पेश किया गया 'वन नेशन, वन इलेक्शन' बिल, कई दलों ने विरोध किया

Update: 2024-12-17 06:49 GMT

नई दिल्ली: वन नेशन वन इलेक्शन से जुड़ा विधेयक आज यानी मंगलवार को लोकसभा में पेश हो गया है. केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने इस विधेयक को सदन के पटल पर रखा है. इस विधेयक को 'संविधान (129वां संशोधन) विधेयक 2024' नाम दिया गया है. सरकार इस बिल को पेश करने के बाद संसद की संयुक्त समिति (JPC) के पास भेजने की सिफारिश करने जा रही है. बीजेपी ने अपने सांसदों के लिए व्हिप जारी किया था.

वहीं, कांग्रेस ने सुबह इमरजेंसी मीटिंग बुलाई और तीन लाइन की व्हिप जारी किया था. विपक्ष लगातार वन नेशन, वन इलेक्शन का विरोध करता आ रहा है. फिलहाल, लोकसभा में आज की कार्यवाही काफी हंगामेदार रहने वाली है. सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने विरोध का ऐलान कर दिया है. उन्होंने कहा, एक तरह से ये संविधान को ख़त्म करने का एक और षड्यंत्र भी है.
वहीं, केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि ये किसी पार्टी का नहीं, बल्कि देश का मुद्दा है. देश देखेगा कि कैसे कांग्रेस हमेशा निगेटिव रहती है. देश आजाद हुआ तो देश में एक देश-एक चुनाव था. लेकिन कांग्रेस ने अपने हिसाब से वो बदल दिया. देश में हमेशा चुनाव ही होते रहते हैं, जिससे देश का काफी नुकसान होता है.
TDP ने भी साफ कर दिया है कि वो एक राष्ट्र एक चुनाव के बिल को पूरा समर्थन करेगी. पार्टी ने अपने सांसदों के लिए व्हिप जारी किया है. वहीं, YSRCP के सांसद पीवी मिथुन रेड्डी ने कहा, हम पहले से ही आम चुनावों के साथ-साथ राज्य चुनाव भी करा रहे हैं. हमारे पास ज्यादा मुद्दे नहीं हैं. हम बिल का समर्थन करेंगे.
कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा, ये बिल संविधान के खिलाफ है. संविधान के मूलभूत ढांचे के खिलाफ है. हम इस बिल का विरोध करते हैं. कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा, ये संविधान बदलने का बिल बिगुल है. सपा सांसद रामगोपाल यादव ने कहा, हम इस बिल का विरोध करेंगे. ये बिल संविधान के खिलाफ है.
शिवसेना (UBT) सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा, ये बिल संविधान के खिलाफ है. ये संविधान पर हमला है. चुनाव की प्रक्रिया के साथ छेड़खानी है. बीजेपी पावर सेंट्रलाइज्ड करना चाहती है. कितना कॉस्ट इफेक्टिव रहेगा, हमें ये पता नहीं है. हम इस बिल का विरोध करेंगे.
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा, वन नेशन वन इलेक्शन, आज देश की आवश्यकता है. बार-बार होने वाले चुनावों से देश की प्रगति और विकास कार्य प्रभावित होते हैं. आजादी के बाद कई वर्षों तक एक साथ लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव होते रहे लेकिन कांग्रेस ने अपने स्वार्थ के लिए विधानसभाओं को भंग करना शुरू कर दिया और देश को बार-बार चुनाव कराने की प्रक्रियाओं में उलझा दिया. कांग्रेस तो संवैधानिक नियमों और प्रक्रियाओं का निरंतर उल्लंघन करती रही है.
देश में एक साथ चुनाव कराए जाने की तैयारी
दरअसल, देश में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराए जाने की तैयारी चल रही है. कानून मंत्री ने संविधान संशोधन विधेयक और केंद्र शासित प्रदेश संशोधन विधेयक लोकसभा के पटल पर रखा है. संविधान संशोधन विधेयक में लोकसभा और विधानसभा चुनावों को एक साथ कराने के लिए प्रावधान है. जबकि केंद्र शासित प्रदेश संशोधन विधेयक में दिल्ली, पुडुचेरी और जम्मू-कश्मीर जैसे केंद्र शासित प्रदेशों को भी चुनाव चक्र की इस योजना के अनुरूप लाने की तैयारी है. विधेयक को दोनों सदनों की संयुक्त समिति को भेजा जा सकता है.

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