दिल्ली के यमुना तट पर खड़े होंगे एक लाख लोग, लेंगे साफ रखने की शपथ

Update: 2023-05-13 15:11 GMT

दिल्ली ब्रेकिंग न्यूज़: दिल्ली में यमुना को बचाने के लिए करीब 4 महीने से जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। इसके तहत यमुना तट पर 4 जून की सुबह करीब 22 किमी लंबी मानव श्रृंखला बनाई जाएगी। इस दौरान वजीराबाद से कालिंदी के बीच करीब एक लाख लोग एक-दूसरे का हाथ थामकर खड़े होंगे। यमुना की मौजूदा स्थिति से रूबरू होने के साथ वह अपने स्तर पर यथासंभव यमुना का अविरल व निर्मल रखने की शपथ भी लेंगे। बता दें कि यमुना संसद के बैनर तले बनने वाली मानव श्रृंखला का मकसद दिल्ली की जीवन रेखा यमुना के प्रति दिल्ली के लोगों को संवेदनशील बनाना है।

यमुना नदी के प्रति संवेदनशील बनाने की मुहिम : तिवारी

यमुना संसद के संयोजक रविशंकर तिवारी ने शनिवार को मीडिया से बातचीत करते हुए बताया कि यह दिल्ली के लोगों को यमुना नदी की मौजूदा स्थिति के प्रति संवेदनशील बनाने की अब तक की सबसे बड़ी मुहिम है। हमारे संरक्षक गोविंदाचार्य का हर कदम पर मार्गदर्शन मिल रहा है। जल पुरुष राजेंद्र सिंह, पर्यावरणविद रवि चोपड़ा, यमुना जिए अभियान के मनोज मिश्रा, जल जन जोड़ो अभियान के संयोजक संजय सिंह, केंद्रीय विश्वविद्यालय पटना के प्रो. रामकुमार सिंह, दिल्ली विश्वविद्यालय के एनवायरमेंटल साइंस के विशेषज्ञ इसका तकनीकी पक्ष देख रहे हैं। एक रिपोर्ट भी तैयार हो रही है। यह तीन दिन की हम लोगों की पैदल यात्रा के दौरान का आकलन है। लक्ष्मी बाई कॉलेज के प्राचार्य प्रो. प्रत्यूष वत्सला जी दिल्ली विश्वविद्यालय के अलग-अलग कॉलेज के साथ लगातार संपर्क बनाए हुए हैं। संगीत के सोपोर घराने के हस्ताक्षर पंडित अभय सोपोरी जी कल्चरल कम्युनिटी में यमुना जी की बात पहुंचा रहे हैं। रोटी बैंक के संचालक राजकुमार भाटिया, नदी संवाद के जीव कांत झा जी, राष्ट्रीय स्वाभिमान आंदोलन के विवेक त्यागी जी व अरविंद तिवारी जी, युवा हल्ला बोल के राष्ट्रीय सचिव प्रशांत कमल जी और उनकी टीम 22 किमी के जुटान व क्राउड मैनेजमेंट पर काम रहे हैं। हमने 22 किमी को आठ हिस्से में बांटकर हर हिस्से का जिम्मा एक-एक लोगों को दिया गया है। यह अपनी टीम के साथ जमीनी स्तर पर काम कर रहे हैं। सबसे अहम बात यह कि इतना बड़ा जुटान एक दिनी आयोजन बनकर न रह जाए, उसकी चिंता हमारे मेंटर व आईआईटी एलुमनी काउंसिल के अध्यक्ष रवि शर्मा कर रहे हैं। तिवारी ने बताया कि अब हम लोगों ने 22 किमी के दायरे में जिन आठ प्वाइंट्स की पहचान की है और जो यमुना तक पहुंचने के इंट्री व एग्जिट प्वाइंट हैं, वहां ट्रायल कर रहे हैं। वजीराबाद, लोहे का पुल व गीता कालोनी पर ट्रायल हो गया है। रविवार 14 मई की सुबह आईटीओ पर ट्रायल होगा। इसी दौरान यहां बाइक रैली निकलेगी, जिसमें करीब 70 बाइकर्स शामिल हो रहे हैं। शाम को दूसरा ट्रायल कालिंदी कुंज में होगा। इसी तरह आने वाले दिनों में उस्मानपुर पुश्ता, निजामुद्दीन व डीएनडी पर भी ट्रायल होगा।

बैराज के पास पानी नहीं दिखता : गोविंदाचार्य

राष्ट्रवादी चिंतक व यमुना संसद के संरक्षक केएन गोविंदाचार्य ने कहा कि यमुना नदी की अविरलता का जो मुद्दा है उसमें हथिनी कुंड बैराज से बारिश के अलावा पानी की निकासी का है। हम जिसे ई-फ्लो कहते हैं, उसमें नदी का अपना करीब 70 फीसदी पानी नदी में बहने देना चाहिए। तीस फीसदी पानी ही हम पीने, सिंचाई सरीखी अपनी दूसरी जरूरत के लिए ले सकते हैं। लेकिन आप गर्मी या सर्दी में देखेंगे तो बैराज के बाद पानी न के बराबर दिखेगा। जबकि 2016 में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हाइड्रोलॉजी, रूढ़की के विशेषज्ञों की जो टीम एनजीटी ने गठित की थी, उसकी सिफारिश है कि न्यूनतम 23 cumec (cubic metre per second) या 800 cubic feet per second पानी हथिनीकुंड से छोड़ा जाना चाहिए. इसे अभी तक हथिनी कुंड से अपेक्षित पानी के बंटवारे के समझौते में शामिल नहीं किया गया है. यह संयोग है कि यूपी, हरियाणा, उत्तराखंड, दिल्ली व राजस्थान के बीच हुए इस समझौते का चूंकि 2024 में रिव्यू होना है तो कमेटी की सिफारिश को इसमें शामिल किया जाना चाहिए.

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