75वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर किसानों ने कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर पंजाब और हरियाणा में निकली तिरंगा यात्रा

75वें स्वतंत्रता दिवस समारोह के बीच रविवार को किसानों ने कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग को लेकर पंजाब और हरियाणा में तिरंगा यात्रा निकाली. हरियाणा के कुरुक्षेत्र में किसानों ने पिपली से कुंडली बॉर्डर तक ट्रैक्टर तिरंगा यात्रा निकाली.

Update: 2021-08-15 17:18 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क :- देश भर में चल रहे 75वें स्वतंत्रता दिवस समारोह के बीच रविवार को किसानों ने कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग को लेकर पंजाब और हरियाणा में तिरंगा यात्रा निकाली. हरियाणा के कुरुक्षेत्र में किसानों ने पिपली से कुंडली बॉर्डर तक ट्रैक्टर तिरंगा यात्रा निकाली. किसान नेता गुरनाम सिंह ने कहा कि जैसा कि देश ने आजादी के 75 साल पूरे कर लिए हैं, हमने पिपली से तिरंगा यात्रा निकालने की योजना बनाई है, जिसे किसान क्रांति का स्थान कहा जाता है.

साथ ही कहा कि आज हमने इसे किसान क्रांति चौक का नाम दिया है, क्योंकि यहां 10 सितंबर को किसानों पर लाठीचार्ज किया गया था. इस घटना में कई किसानों को गंभीर चोटें आई थीं. साथ ही कहा कि यहां से हम यात्रा को कुंडली बार्डर तक ले जाएंगे. हम तीन काले कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग करते हैं.
सिंघु बार्डर पर भी किसानों ने निकाली तिरंगा यात्रा
किसानों ने सिंघु बार्डर पर भी तिरंगा यात्रा निकाली, जो हरियाणा के कुरुक्षेत्र से शुरू हुई थी. 75वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर जींद के उचाना कलां में एक और तिरंगा ट्रैक्टर परेड निकाली गई. परेड का नेतृत्व महिलाओं ने किया और तिरंगा भी उन्हीं ने फहराया. इस दौरान महिलाओं ने कहा कि हम चाहते हैं कि तीन काले कानूनों को निरस्त किया जाए और किसानों को एमएसपी की गारंटी दी जाए.
परेड के दौरान जींद में ड्यूटी पर मौजूद सब इंस्पेक्टर राजेश कुमार ने कहा कि हमने सुरक्षा के सभी इंतजाम कर लिए हैं. उनका रास्ता तय है और उन्होंने अब तक शांतिपूर्ण तरीके से जुलूस निकाला है. सभी जगहों पर बलों को तैनात किया गया है और हमारे पास यह सुनिश्चित करने के लिए सभी इंतजाम हैं कि कोई अप्रिय घटना न हो.
किसानों ने अटारी-वाघा सीमा से अमृतसर के गोल्डन गेट तक तिरंगा यात्रा मार्च भी निकाला. इस दौरान किसानों ने कहा कि हम तीन काले कृषि कानूनों को निरस्त करना चाहते हैं. साथ ही कहा कि हम दिल्ली और उसकी सीमाओं के आसपास अपना विरोध जारी रखेंगे, जब तक कि सरकार इन कानूनों को रद्द नहीं कर देती.


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