हड़प्पाकालीन सिनौली से खुदाई में मिला प्राचीन शिवालय का 'अष्टभुजा शिवलिंग'
हड़प्पाकालीन सिनौली साइट ने एक बार फिर इतिहास उगला है।
हड़प्पाकालीन सिनौली साइट ने एक बार फिर इतिहास उगला है। साइट से मात्र 500 मीटर दूर स्थित गांव के अति प्राचीन शिवालय में सुंदरीकरण व खुदाई के दौरान अष्टभुजा शिवलिंग मिला है। इसे विधि-विधानपूर्वक मंदिर में स्थापित करा दिया गया है। अष्टभुजा शिवलिंग को देखने दूर-दराज से श्रद्धालु पहुंच रहे हैं।
महाभारतकालीन सादिकपुर सिनौली गांव पांच हजार साल का इतिहास अपने गर्भ में समेटे हुए है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण यानी एएसआई द्वारा इसको संरक्षित किया जा रहा है। यहां पर एएसआई तीन चरणों में उत्खनन कर चुका है। यहां वर्ष 2019 से ग्रामीणों के सहयोग से मंदिर के जीर्णोद्धार का कार्य चल रहा है। दो दिन पूर्व मंदिर के सुंदरीकरण और खुदाई के दौरान अष्टभुजा शिवलिंग मिला, जो देखने में बहुत ही अद्भुत है। पूजा-अर्चना के बाद शिवलिंग को मंदिर में ही स्थापित करा दिया गया। वहीं दूर-दूर से श्रद्धालु आकर शिवलिंग पर दूध, फूल आदि चढ़ाकर पूजा-अर्चना कर रहे हैं।
इसी मंदिर में मिला था सीढ़ीदार रास्ता और मृणमूर्ति
वर्ष 2019 अक्तूबर माह में इसी मंदिर के परिसर में खुदाई के दौरान सीढ़ीदार रास्ता, मृणमूर्ति और प्राचीन ईंटों की दीवार मिली थी। सूचना पर एएसआई आगरा के बसंत कुमार ने दो सदस्यों की टीम को भेजा था। टीम में सहायक पुरातत्वविद आदित्य और महेंद्रपाल शामिल थे। टीम ने जांच रिपोर्ट एएसआई के अफसरों को साैंपी थी। प्राचीन ईंटें एएसआई द्वारा कराए गए तृतीय चरण के उत्खनन कार्य के दौरान प्राप्त दाह संस्कार के चबूतरे से भी प्राप्त हो चुकी हैं।
मिल चुकी हैं तमाम प्राचीन संपदाएं
यहां से मिले पुरा अवशेषों में मानव बस्ती के प्रमाण, ईंटों की दीवार, महिला का कंकाल जिसके कानों में सोने के जेवर थे, शाही ताबूत, युद्ध रथ, मिट्टी की भट्ठी, धनुष, मृदभांड, तांबे की तलवार, मनके, कंकाल आदि मिल चुके हैं। ग्रामीण ब्रजपाल और सामाजिक कार्यकर्ता विपिन पूनिया ने बताया कि मंदिर लगभग 1500 साल पुराना है। पहले भी इस मंदिर में खुदाई के दौरान नंदी, गणेश की प्राचीन मूर्तियां मिल चुकी हैं। बताया कि यहां पहले यमुना बहती थी और प्राचीन युग में यहां के अवशेष जमीन में दफन हैं।
ये बोले एएसआई दिल्ली के निदेशक
इस संबंध में एएसआई दिल्ली के संयुक्त महानिदेशक डॉ. संजय मुंजल से बात की गई तो उन्होंने बताया कि इस तरह के शिवलिंग में सबसे नीचे ब्रह्म भाग, उसके बाद विष्णु भाग और सबसे ऊपर शिव भाग होता है। चतुर्भुज ब्रह्म भाग होता है, अष्टभुज विष्णु भाग और सबसे ऊपर शिव भाग होता है। जो फोटो प्राप्त हुए हैं, उनमें अष्टभुज शिवलिंग में सबसे ऊपर नाग भी बना हुआ है। शिवलिंग कितना पुराना है, यह जांच का विषय है।