छात्रों का कहना है कि कि जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के अंदर स्थित स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज की बिल्डिंग की दीवारें ब्राह्मण और बनिया समुदाय के खिलाफ अभद्र बातें लिखीं, लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन ने अभी तक किसी व्यक्ति के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की है। विश्वविद्यालय की एक महिला प्रोफेसर के केबिन के दरवाजे पर भी 'शाखा लौट जाओ' का नारा लिखा था। जेएनयू के छात्रों का आरोप है कि महिला प्रोफेसर को वर्ष 2019 में वामपंथियों ने 3 दिन हिरासत में रखा था। जानकारी के मुताबिक जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय की दीवारों पर यह अभद्र टिप्पणियां 30 नवंबर की रात को लिखी गईं। वहीं इस घटना को लेकर अभी तक विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से कोई आधिकारिक जानकारी नहीं दी गई है। हालांकि विश्वविद्यालय प्रशासन ने इस विषय की जांच शुरू कर दी है और दोषियों का पता लगाने का प्रयास किया जा रहा है।
जेएनयू के छात्र संगठनों की बात करें तो एबीवीपी के अध्यक्ष रोहित कुमार कहा, "हमारा संगठन इस प्रकार की अभद्र टिप्पणियों की घोर निंदा करता है।" रोहित ने इस प्रकरण के लिए वामपंथी विचारधारा से जुड़े छात्रों को जिम्मेदार ठहराया और कहा कि उन्होंने ही जेएनयू की दीवारों यह अभद्र बातें लिखीं हैं। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का कहना है कि विश्वविद्यालय की दीवारों पर लिखी गईं इस प्रकार की आपत्तिजनक बातें ऑल इंडिया स्टूडेंट एसोसिएशन के सदस्यों द्वारा लिखी गई हैं। छात्र संगठन का कहना है कि वामपंथी विचारधारा से जुड़े छात्र और उनके समर्थक जेएनयू में कुछ प्रोफेसर्स को डराने के लिए ऐसी धमकी भरी टिप्पणी या लिख रहे हैं। छात्रों ने विश्वविद्यालय प्रशासन से इस मामले में तुरंत सख्त कार्रवाई की भी मांग की है।
वहीं, ऑल इंडिया स्टूडेंट एसोसिएशन से जुड़े छात्रों ने इस घटना में शामिल होने से इनकार किया है। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संगठन के सदस्य व पूर्व अध्यक्ष एन. साईं बालाजी ने इन आरोपों से इनकार किया है। बालाजी ने उल्टा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद पर आरोप लगाते हुए संदेह व्यक्त किया कि यह स्वयं एबीवीपी के कार्यकर्ताओं की हरकत हो सकती है।