राजस्थान राज्य में सवाई माधोपुर और जयपुर के बीच ब्रॉड गेज डबल लाइन के निर्माण के लिए रेल मंत्रालय द्वारा एक परियोजना का एनपीजी द्वारा परीक्षण किया गया। यह परियोजना सवाई माधोपुर से जयपुर तक लगभग 131 किलोमीटर तक फैली हुई है और इसे इंफ्रास्ट्रक्चर के तौर पर एक महत्वपूर्ण पहल माना जाता है। इस परियोजना के पूरा होने पर, इससे वर्ष 2026-27 तक लाइन क्षमता में 71 प्रतिशत (मेंटेनेंस ब्लॉक के बिना) और 80 प्रतिशत (मेंटेनेंस ब्लॉक सहित) सुधार होने की उम्मीद है। जयपुर-सवाई माधोपुर मार्ग दिल्ली-मुंबई मार्ग के लिए एक फीडर के रूप में कार्य करता है, और यह जयपुर, इसके आसपास के इलाकों और मुंबई, भारत के दक्षिणी और पूर्वी हिस्सों को जोड़ने वाले प्राथमिक मार्ग का प्रतिनिधित्व करता है। प्रस्तावित परियोजना मौजूदा सिंगल लाइन नेटवर्क में भीड़ को कम करने में मदद करेगी, जिसके परिणामस्वरूप निर्बाध यातायात सुनिश्चित होगा।
इसके अलावा, एनपीजी ने उत्तर प्रदेश राज्य में पूर्वोत्तर रेलवे पर महाराजगंज होते हुए आनंद नगर घुघुली के बीच एक नई ब्रॉड-गेज लाइन के निर्माण के लिए रेल मंत्रालय द्वारा प्रस्तावित एक परियोजना का मूल्यांकन किया है। प्रस्तावित परियोजना आनंद नगर से लगभग 53 किलोमीटर की दूरी पर है और इसका निर्माण ब्रॉड गेज (बीजी) लाइन के रूप में किया जाएगा। यह अनुमान लगाया गया है कि परियोजना क्षेत्र के लिए ब्रॉड-गेज रूट प्रदान करके क्षेत्र में सीधे तौर पर आर्थिक विकास को बढ़ाएगी। नई लाइन गोरखपुर जंक्शन पर रुके बिना महराजगंज होते हुए वाल्मीकिनगर से गोंडा जाने वाली ट्रेनों के लिए एक वैकल्पिक और छोटे मार्ग के रूप में काम करेगी। यात्रियों को इस नई लाइन से लाभ होगा, क्योंकि इस खंड में वर्तमान में सड़क मार्ग से ही परिवहन उपलब्ध है। इसके अतिरिक्त, रेलवे लाइन से सीमेंट, उर्वरक, कोयला और खाद्यान्न की आवाजाही सुगम होने की उम्मीद है, जिससे संबंधित उद्योगों को लाभ मिलेगा। इसके अलावा, रेलवे लाइन नेपाल के लिए माल ढुलाई की सुविधा भी मिलेगी।
ओडिशा राज्य में जूनागढ़ से नबरंगपुर स्टेशन के बीच नई ब्रॉड-गेज लाइन के निर्माण के लिए रेल मंत्रालय की एक अन्य परियोजना का एनपीजी द्वारा परीक्षण किया गया। प्रस्तावित परियोजना जूनागढ़ से नबरंगपुर तक लगभग 116 किलोमीटर में फैली हुई है। इस नई लाइन के निर्माण से रायपुर क्षेत्र में बैलाडेला लौह अयस्क खदानों से विभिन्न इस्पात संयंत्रों की दूरी 131 किलोमीटर कम होने की उम्मीद है। इसके अतिरिक्त, यह अनुमान लगाया गया है कि परियोजना इस्पात संयंत्र, और जूनागढ़ रोड, जयपुर, कोरापुट में माल शेड और आरवी लाइन पर अन्य माल शेड की सुविधा प्रदान करेगी, जो बहु-मॉडल रसद के स्थान हैं। यह नई लाइन विशाखापत्तनम, गंगावरम और काकीनाडा बंदरगाहों से रायपुर क्षेत्र के विभिन्न इस्पात संयंत्रों तक कोयले की आवाजाही के लिए एक वैकल्पिक मार्ग प्रदान करेगी। रोड-रेल इंटरमोडल लॉजिस्टिक्स के प्रावधान से जयपुर, जूनागढ़ रोड और नबरंगपुर में गुड्स शेड्स में ट्रैफिक बढ़ने की उम्मीद है।
रेल मंत्रालय की पिछली परियोजना पश्चिम रेलवे पर फ्रेट डेंस हाई यूटिलाइजेशन नेटवर्क पर स्वचालित ब्लॉक सिग्नलिंग के प्रावधान के लिए थी। परियोजना का लक्ष्य महाराष्ट्र और गुजरात राज्य में 895 आरकेएम और पश्चिम रेलवे के चार प्रमुख खंडों को कवर करना है। यह परियोजना बैलेंस फ्रेट डेंस हाई यूटिलाइजेशन नेटवर्क (एचयूएन) रूट्स को एबीएस के दायरे में लाएगी, क्योंकि पश्चिम रेलवे के हाई डेंसिटी नेटवर्क (एचडीएन) रूट्स पर एबीएस पहले से ही स्वीकृत या मौजूद है। परियोजना के लाभ में बढ़ी हुई लाइन क्षमता और 110 किमी प्रति घंटे से 130 किमी प्रति घंटे की सेक्शन की गति शामिल है, जिससे रेलवे के लिए लागत में कमी और समग्र रसद दक्षता में वृद्धि होने की संभावना है। इसके परिणामस्वरूप विशेष रूप से उधना- जलगांव, अहमदाबाद-पालनपुर, अहमदाबाद-विरामगाम-सामाखियाली और वीरमगाम-राजकोट खंडों में ट्रेन अवरोधन और यात्रा के समय में कमी आएगी। इसके अतिरिक्त लाभों में कार्बन फुटप्रिंट को कम करके सड़क यातायात की संभावित कमी और पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव शामिल हैं।
नेटवर्क प्लानिंग ग्रुप (एलपीजी) का 46वां सत्र 03.04.2023 को नई दिल्ली में संपन्न हुआ।