अब गांधी का नहीं गोडसे का हिन्दुस्तान है, मोदी सरकार पर महबूबा मुफ्ती का हमला

Update: 2021-12-04 14:10 GMT

जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने एक बार फिर मोदी सरकार पर बरसते हुए कहा है कि यह गांधी का नहीं गोडसे का हिन्दुस्तान है और अब वे (बीजेपी सरकार) गोडसे का कश्मीर बनाना चाहते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि उनके पिता मुफ्ती मोहम्मद सईद को उम्मीद थी कि मोदी कश्मीर के लिए राजधर्म का पालन करेंगे, लेकिन वह ऐसा नहीं कर पाए।

न्यूज चैनल आज तक के एक कार्यक्रम में 'नया कश्मीर' को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में महबूबा ने कहा, ''2019 में गैर संवैधानिक और अवैध तरीके से अनुच्छेद 370 हटा दिया गया। और अब वह कह रहे हैं कि हमने नया कश्मीर बना दिया है। कहां है नया कश्मीर? आज एक बेटी अपने पिता का शव मांग रही है। एक बहन भाई के शव का इंतजार कर रही है। गलियों में खून के दाग पानी से धोए जा रहे हैं। दुर्भाग्य से कुछ मीडिया आउटलेट सरकार का नरेटिव फैला रहे हैं। नया कश्मीर? नया हिन्दुस्तान की बात क्यों नहीं होती? जो संविधान की बात करते हैं उन्हें टुकड़े-टुकेड़े गैंग कहा जाता है। मुस्लिम, यहां तक कि फिल्मी सितारों को भी सामाजिक रूप से दूर किया जा रहा है। यह गांधी का हिन्दुस्तान नहीं है, यह गोडसे का हिन्दुस्तान है और वह गोडसे का कश्मीर बना रहे हैं।'' अनुच्छेद 370 की वापसी को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में महबूबा ने कहा, ''370 का मतलब था कि कोई बाहरी जमीन नहीं खरीद सकता था और नौकरियां भी स्थानीय लोगों के लिए रिजर्व थीं। कई दूसरे राज्यों में भी इसी तरह के प्रावधान हैं। कश्मीर के साथ क्या दिक्कत है?'' यह याद दिलाए जाने पर कि बाबा साहेब आंबेडकर ने इसे अस्थायी बताया था, महबूबा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि यह अस्थायी नहीं है।

महबूबा से पूछा गया कि क्या 370 की वापसी संभव है? पीडीपी प्रमुख ने इसका जवाब कृषि कानूनों की वापसी का उदाहरण देते हुए दिया। उन्होंने कहा, ''आपने नहीं देखा कि तीनों कृषि कानून वापस लिए गए और पीएम को माफी भी मांगनी पड़ी।'' बीजेपी के साथ गठबंधन क्या गलती थी? इसके जवाब में पूर्व सीएम ने कहा, ''मेरे पिता ने कभी इसे गलती के रूप में नहीं किया। मुफ्ती साहब का वाजपेयी जी के साथ शानदार अनुभव रहा। उन्होंने सोचा कि बीजेपी देशभक्त है। लेकिन वे राजनीतिक लाभ के लिए किसी भी चीज का त्याग कर सकते हैं। वे किसानों को कुचल सकते हैं। वे कुछ भी कर सकते हैं।

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