अब डूबने से बचाएंगे 'बाल-तरणवीर' और 'आपदा मित्र'

Update: 2023-09-30 04:31 GMT
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में डूबने की घटनाओं में कमी लाने के लिए राहत विभाग संजीदा दिख रहा है। इस प्रकार की घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए मुख्यमंत्री बाल-तरणवीर कार्यक्रम चलाया जाएगा। इसका उद्देश्य क्षमता निर्माण एवं जन जागरुकता बढाना है, ताकि प्रदेश मे डूबने की घटनाओं मे काफी हद तक कमी आ सके। इसे 20 प्रतिशत तक कम करने की तैयारी है। चिह्नित स्थलों पर चेतावनी बोर्ड्स भी लगेंगे। ये बोर्ड सर्पदंश और डूब क्षेत्र दोनों जगह लगेंगे।
राहत आयुक्त जीएस नवीन के मुताबिक उत्तर सरकार ने नदी, झील, तालाब, पोखर, नहर, नाला, गड्ढा, जल प्रपात में डूबकर होने वाली मौतों को रोकने के लिए काफी प्रयासरत है। इसी कारण हमने निर्णय लिया है कि राष्ट्रीय अन्तर्देशीय जल परिवहन संस्थान द्वारा एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, पीएसी, शिक्षा विभाग के समन्वय से 120 मास्टर ट्रेनर्स प्रशिक्षित किया जाएगा। आपदा मित्रों को मूल प्रशिक्षण के साथ-साथ तैराकी का प्रशिक्षण भी अनिवार्य कर दिया जाएगा।
इस कार्यक्रम के माध्यम से डूब क्षेत्रों का चिन्हीकरण होगा तथा उन स्थानों पर साइनेज बॉर्ड्स लगाए जाएंगे। आपदा मित्रों के माध्यम से जनजागरूक भी चलाई जाएगी। सुरक्षा की दृष्टि से स्कूल के पाठ्यक्रमों में डूबने से बचाव के नियमों को भी शामिल किया जायेगा। निर्धारित रूपरेखा के मुताबिक डूबने की घटनाओं में 20 प्रतिशत की कमी लाने का लक्ष्य है। इसका मूल्यांकन भी होगा। प्रत्येक चरण की सफलता के लिए योजना तैयार की गयी है।
राहत आयुक्त ने बताया कि प्रशिक्षित हुए आपदा मित्रों को तैनाती देने वाले स्थलों के बारे में भी योजना बनी है। इन्हें सफलता पूर्वक प्रशिक्षण के बाद डूब क्षेत्रों के आलावा त्योहारों के दौरान पहले से चिह्नित स्थानों पर तैनात करने का लक्ष्य है। इनकी तैनाती जरूरत के मुताबिक होगी।
गौरतलब हो कि यूपी सरकार ने कुआं, नदी, तालाब, पोखर, नहर, नाला व जल प्रपात में डूबने से मृत्यु को भी राज्य आपदा घोषित कर रखा है। राज्य सरकार के इस फैसले से डूबने से मौत होने पर पीड़ित परिवारों को 4-4 लाख रुपये मुआवजा भी दिया जा रहा है। प्रदेश में प्रति वर्ष डूबने से बड़ी संख्या में मौतें होती हैं। इसी को देखते हुए सरकार ने इसे आपदा घोषित किया है। शासनादेश के अनुसार अगर किसी व्यक्ति की मृत्यु आत्महत्या या आपराधिक कृत्य के कारण होती है, तो ऐसी दशा में परिजनों को किसी तरह की कोई सहायता नहीं दी जाएगी।
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