चिंताजनक: भारत के लिए अच्छे संकेत नहीं, तीसरी लहर की दहलीज पर खड़ा है देश, लेकिन...

Update: 2021-07-12 13:53 GMT

हिंदुस्तान कोविड-19 की तीसरी लहर की दहलीज पर खड़ा है. वहीं दूसरी लहर की तबाही देखने के बाद एक मात्र सहारा टीकाकरण था ताकि तीसरी लहर की भयावहता को रोका जा सके. केंद्र सरकार ने वैक्सीनेशन नीति में बदलाव करते हुए सब को मुफ्त वैक्सीन मुहैया कराने का ऐलान तो कर दिया लेकिन पिछले कुछ दिनों से देश में टीकाकरण की रफ्तार सुस्त होने लगी है. राजधानी दिल्ली में भी टीके की कमी अब दिखाई पड़ने लगी है.

21 जून से भारत सरकार ने नई वैक्सीनेशन पॉलिसी लागू की है जिसके तहत सभी राज्यों को मुफ्त में वैक्सीन दी जा रही है. लेकिन जिस कोविन एप्लीकेशन पर रजिस्ट्रेशन करवाना है उसके आंकड़ों के मुताबिक टीकाकरण की रफ्तार सुस्त पड़ रही है.
21 जून से 27 जून के बीच में जहां 61.14 लाख लोगों को टीके लगाए गए थे. वहीं जून 28 से जुलाई 4 के बीच में टीका लगवाने वाले लोगों की संख्या घटकर 41.92 लाख हो गई है. 5 जुलाई से 11 जुलाई तक रोजाना औसत टीकाकरण घटकर 24.32 लाख पर आ गया है.
हरियाणा, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, गुजरात, छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में रोजाना टीकाकरण की दर में गिरावट देखी जा रही है. इसी तरह असम और त्रिपुरा जहां कोविड-19 के केस बड़े दिखाई दे रहे हैं वहां पर भी टीकाकरण की रफ्तार में सुस्ती दिख रही है.
इसी तरह औसतन अगर देखें तो टीकाकरण के पहले चरण में जितने लोगों को रोजाना टीके लग रहे थे मौजूदा टीकाकरण नीति में रोजाना लगने वाले टीकों के मुकाबले ज्यादा थे. कोविन ऐप डाटा के मुताबिक 14 जून से 20 जून के बीच में 33. 97 लाख लोगों को टीका लगाया गया था. देशभर में अब तक 37. 73 करोड़ लोगों को टीका लगाया जा चुका है.
केंद्र सरकार ने 12 जुलाई को जो डाटा जारी किया उसके मुताबिक देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को 38.86 करोड़ टीके मुहैया कराए जा चुके हैं और 1.54 करोड़ टीके राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के पास स्टॉक में मौजूद है.
वहीं दिल्ली में वैक्सीन को लेकर पोस्टर तो दिखाई पड़ रहे हैं फिर चाहे वह दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के वैक्सीन वाले पोस्टर हों या फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुफ्त वैक्सीन वाले पोस्टर. लेकिन वैक्सीनेशन केंद्रों पर वैक्सीन दिखाई नहीं पड़ती. दिल्ली सरकार द्वारा जारी किए गए वैक्सीन बुलेटिन के मुताबिक 11 जुलाई तक राजधानी दिल्ली को वैक्सीन की कुल 22,88,780 डोज मिली और 11 जुलाई की सुबह तक दिल्ली के पास कोवैक्सीन का बचा हुआ स्टॉक 2,39,850 था.
कोवैक्सीन की अनुपलब्धता के चलते दिल्ली सरकार ने राजधानी में वैक्सीन के पहले डोज़ पर रोक लगाई हुई है. जबकि सिर्फ दूसरे डोज़ के लिए ही कोवैक्सीन उपलब्ध है. इसी तरह 11 जुलाई तक दिल्ली को कोविशील्ड की कुल 62,04,600 डोज प्राप्त हुई और दिल्ली के पास 11 जुलाई की सुबह तक 19480 डोज़ बची हुई थी.
जिन टीका केंद्रों पर वैक्सीनेशन हो रहा है वहां लोगों की भीड़ भी है. दिल्ली के दीनदयाल उपाध्याय मार्ग पर सरकारी स्कूल में बनाए गए टीका केंद्र पर सोमवार की सुबह टीकाकरण करवाने आए लोगों की भीड़ दिखाई पड़ी.
स्वास्थ्य कर्मी मनदीप ने बताया कि यहां टीका मौजूद है और पहला डोज लगवाने के लिए भी लोग सामने आ रहे हैं. लेकिन किल्लत के चलते दिल्ली के सभी टीकाकरण केंद्रों पर ऐसी सुखद तस्वीर देखने को नहीं मिलती. कई लोग टीकाकरण केंद्रों से बिना टीका लगवाए वापस लौट रहे हैं क्योंकि अंदर ना तो टीका मौजूद है और ना उससे जुड़ी जानकारी.
दिल्ली में 10 जुलाई तक 88,90,774 लोगों का टीकाकरण हो चुका है. जिनमें 68,14,197 को टीके की पहली डोज़ ही मिली. जबकि महज़ 20,76,577 लोगों को ही वैक्सीन की दूसरी डोज़ मिली है. दिल्ली में कुल 763 जगहों पर 1374 टीकाकरण केंद्र बनाए गए हैं. जो प्रतिदिन 2,26,552 लोगों का टीकाकरण कर सकते हैं.
देश के दूसरे बड़े शहरों की तरह दिल्ली में भी कई टीकाकरण केंद्रों पर लोगों को मायूस लौटना पड़ रहा है. नई दिल्ली के पंडारा रोड इलाके में नवयुग स्कूल में बनाए गए वैक्सीनेशन सेंटर पर आज भी लोगों को निराश लौटना पड़ा. कई लोगों का कहना है कि वह एक हफ्ते से टीकाकरण के लिए चक्कर लगा रहे हैं लेकिन उन्हें वैक्सीन नहीं मिल पा रही है. तो कुछ लोगों का कहना है कि उन्हें ऑनलाइन स्पॉट नहीं मिल रहा है.
नवयुग स्कूल के बाहर से दीनदयाल वापस अपने घर की ओर लौट रहे हैं क्योंकि उन्हें आज भी टीका नहीं लग पाया. दीनदयाल को टीके की दूसरी डोज लगवानी है. जिसकी तारीख 5 जुलाई से शुरू हो चुकी है और तय समय पर उन्हें टीका मिलना जरूरी है. दीनदयाल कहते हैं कि वह पिछले एक सप्ताह से सेंटर के चक्कर लगा रहे हैं लेकिन उन्हें कोई जानकारी या जवाब नहीं मिल पा रहा है.
दीनदयाल की तरह ही चंदन और उनकी पत्नी पार्वती भी टीकाकरण के लिए पिछले 3 दिनों से नवयुग स्कूल के चक्कर लगा रही हैं. दीनदयाल कहते हैं कि सेंटर पर हमें बताया गया कि टीका नहीं है और कब आएगा इसकी जानकारी भी नहीं दी जा रही है.
इसी स्कूल में वैक्सीनेशन के लिए आई अनन्या का कहना है कि वह एक महीने से रजिस्ट्रेशन कर चुकी हैं लेकिन उन्हें ऑनलाइन सपोर्ट नहीं मिलता और इसीलिए वह ऑन स्पॉट रजिस्ट्रेशन टीकाकरण के लिए केंद्रों के चक्कर लगा रही हैं.
देश जब तीसरी लहर की दहलीज पर खड़ा है और महामारी का खतरा अभी भी बरकरार है. ऐसे में टीकाकरण की सुस्त रफ्तार कोरोना मुक्त भारत मिशन के लिए अच्छे संकेत नहीं है. सरकार को इस दिशा में जल्द ही कदम उठाने होंगे.


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