किसी ने नहीं दिया साथ तो मुस्लिम परिवारों ने किया मां-बेटे का अंतिम संस्कार
कुशीनगर के खड्डा क्षेत्र के करदह में बीमारी से मां की मौत के थोड़ी ही देर में बड़े बेटे की तबीयत बिगड़ी और उसने भी दम तोड़ दिया।
कोरोना का खौफ इस कदर है कि स्वाभाविक या दूसरी किसी बीमारी से हुई मौत में भी लोग लाश को हाथ लगाने से पीछे हट जा रहे हैं। कुशीनगर के खड्डा क्षेत्र के करदह में बीमारी से मां की मौत के थोड़ी ही देर में बड़े बेटे की तबीयत बिगड़ी और उसने भी दम तोड़ दिया। रिश्तेदार संवेदना जताने तो पहुंचे लेकिन कोरोना के डर से दरवाजे से ही निकल लिए। इस बात की भनक गांव के मुस्लिम परिवारों को हुई तो वे पीड़ित के घर पहुंचे और बेहिचक पूरे विधान से मां-बेटे के शवों का अंतिम संस्कार कराया।खड्डा क्षेत्र की ग्रामसभा करदह में शांति (75) पत्नी विश्वनाथ मिश्र पैरालिसिस का शिकार हो गईं। इससे उनका चलना-फिरना बंद हो गया। शुक्रवार को उनकी मौत हो गई। जानकारी होने पर रिश्तेदार उनके घर पहुंचे ही थे कि आधे घंटे के अंतराल पर बड़े बेटे अनिल मिश्र (45) की भी अचानक तबीयत बिगड़ने से मौत हो गई। यह देख संवेदना जताने आए रिश्तेदार व अन्य लोग कोरोना के भय से शवों को छोड़कर दरवाजे से ही लौट गए।