फटी जींस और मिनी स्कर्ट में श्रद्धालुओं को नो एंट्री, पुरी जगन्नाथ मंदिर के लिए 'ड्रेस कोड'

Update: 2023-10-10 07:55 GMT
नई दिल्ली: जगन्नाथ पुरी ओडिशा में अब आने वाले श्रद्धालुओं के लिए ड्रेस कोड लागू कर दिया गया है. मंदिर के एक वरिष्ठ अधिकारी ने सोमवार को कहा कि अगले साल 1 जनवरी से, पुरी शहर के जगन्नाथ मंदिर में प्रवेश करने के लिए भक्तों को 'सभ्य' कपड़े पहनने होंगे.
श्रीजगन्नाथ मंदिर प्रशासन, या एसजेटीए के मुख्य प्रशासक रंजन कुमार दास ने कहा, “जगन्नाथ मंदिर में दर्शन करते समय भक्तों को पारंपरिक कपड़े पहनने चाहिए. उन्हें शॉर्ट्स, रिप्ड जींस और स्कर्ट जैसे कपड़े नहीं पहनने चाहिए. देश भर के कई मंदिरों में ड्रेस कोड लागू किया गया है.” एक जनवरी से ड्रेस कोड सख्ती से लागू कर दिया जाएगा. मंदिर के एक दूसरे अधिकारी ने कहा कि मंदिर में भक्तों को "सभ्य कपड़े" पहनने के लिए जागरूकता अभियान मंगलवार से शुरू होगा. अधिकारी ने कहा, "जगन्नाथ मंदिर पुलिस और मंदिर के सेवक अश्लील कपड़े पहनने वाले किसी भी व्यक्ति पर नजर रखेंगे." उन्होंने आगे कहा कि कुछ लोग हाफ पैंट और स्लीवलेस कपड़ों में आते हैं जैसे बीच या पार्क में घूमने आए हों. मंदिर में भगवान रहते है. यह मनोरंजन की जगह नहीं है. इससे दूसरे लोगों की धार्मिक भावनाएं आहत होती है.
न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, ड्रेस कोड लागू होने के बाद लोग मंदिर में हाफ पैंट, कटी-फटी जीन्स, स्कर्ट और स्लीवलेस कपड़े पहनकर नहीं जा सकेंगे. यह फैसला मंदिर की नीति-कमेटी ने लिया है. यह कदम मंदिर प्रशासन द्वारा 20 अक्टूबर, 2021 से सेवकों के लिए एक ड्रेस कोड लागू करने के दो साल बाद आया है. ड्रेस कोड के अनुसार, सभी सेवकों को पूजा करते समय धोती, तौलिया और पट्टा पहनना होगा.
पुरी श्रीमंदिर में सेवकों का संगठन दइतापति निजोग काफी समय से मंदिर में आने वाले भक्तों के लिए एक ड्रेस कोड की मांग कर रहा है. उनकी शिकायत है कि कई लोग शॉर्ट्स पहनकर मंदिर में आते हैं जिससे अन्य भक्तों की धार्मिक भावनाएं आहत होती हैं. निजोग ने मांग की कि जो भक्त पश्चिमी पोशाक में यहां पहुंचते हैं उन्हें मंदिर में प्रवेश करने के लिए कपड़े बदलने होंगे.
वरिष्ठ सेवक बिनायक दासमोहपात्र ने हिंदुस्तान टाइम्स से कहा कि पुरी जगन्नाथ मंदिर चार धामों में एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है. उन्होंने कहा,“हजारों भक्त भगवान जगन्नाथ के दर्शन के लिए पुरी आते हैं इसलिए, मंदिर की आध्यात्मिकता और पवित्रता को बनाए रखने के लिए सभी भक्तों के लिए एक ड्रेस कोड लागू करना आवश्यक है. ” दासमोहपात्रा ने कहा कि दक्षिण भारत के कई मंदिरों में महिला श्रद्धालु सलवार और साड़ी पहनकर जाती हैं.
Tags:    

Similar News

-->