हुनर का जवाब नहीं: दुनियाभर के 1500 छात्रों को दी कैलीग्राफी की ट्रेनिंग, 13 वर्ष की गौरी को PM मोदी ने दिया राष्ट्रीय बाल पुरस्कार

Update: 2022-01-27 03:55 GMT

अजमेर: राजस्थान के अजमेर में रहने वाली 13 साल की गौरी अपनी अनोखी आर्ट कैलीग्राफी के जरिए दुनियाभर में नाम कमा रही हैं. गौरी अमेरिका से लेकर ब्रिटेन तक 1500 बच्चों को कैलीग्राफी की ट्रैनिंग दे चुकी है. गौरी के स्टूडेंट्स की सूची में कई बुजुर्ग भी शामिल हैं. इस कला के चलते गौरी को साल 2022 का प्रधानमंत्री से राष्ट्रीय बाल पुरस्कार मिला है. साथ ही गौरी का नाम दुनिया की कई रिकॉर्ड बुक में भी दर्ज है. बता दें, कैलीग्राफी को दुनिया में एक कला के रूप में अपनाया जा रहा है. गौरी का मक्सद दुनिया की सर्वश्रेष्ठ कैलीग्राफर बनना है.

अमेरिका से लेकर ब्रिटेन तक 1500 बच्चों को कैलीग्राफी की ट्रैनिंग दी
जिस उम्र में बच्चे पेंसिल से ढंग से नहीं लिख पाते उस उम्र में गौरी ने कैलीग्राफी सीखना शुरू कर दिया था. कैलीग्राफी शादी के कार्ड, हाथ की बनी प्रेजेंटेशन, मेमोरियल डाक्यूमेंट, सर्टिफिकेट, निमंत्रण-पत्र, बिजनेस कार्ड पोस्टर, ग्रीटिंग कार्ड, बुक कवर, लोगो, लीगल डॉक्यूमेंट बनाने, सिरेमिक और मार्बल पर शब्दों को उकेरने सहित अन्य काम आती है.
पीएम मोदी ने गौरी को दिया राष्ट्रीय बाल पुरस्कार
गौरी की मां मीनाक्षी ने बताया कि पुरस्कार मिलना अजमेर ही नहीं बल्कि पूरे राजस्थान के लिए गर्व की बात है. गौरी ने जयपुर में शिक्षक मेलबेन केसटलिनो से कैलीग्राफी सीखी थी. गौरी को बचपन से ही आर्ट एंड क्राफ्ट का बड़ा शौक था. जिसकी वजह से गौरी ने इस क्षेत्र में ही आगे बढ़ने का फैसला किया.
गौरी को बचपन से ही आर्ट एंड क्राफ्ट का बड़ा शौक था
8वीं क्लास में पढ़ने वाली गौरी का कहना है कि कंप्यूटर पर भले ही विभिन्न डिजाइनों के शब्द हों लेकिन कंप्यूटर के मुकाबले हाथ से लिखावट का अपना ही महत्व है. दुनियाभर में यह कला उभरकर सामने आ रही है. गौरी का मानना है कि कैलीग्राफी एक बार दिमाग में बैठ जाए तो हार्ड नहीं लगती. कुछ फॉन्ट्स जरूर हार्ड होते हैं, लेकिन वह भी जल्द सीखने में आ जाते हैं. 
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