पटना (आईएएनएस)। बिहार में नई शिक्षक नियुक्ति नियमावली अब सरकार के गले का फांस बनती जा रही है। अप्रैल महीने में मंत्रिमंडल की बैठक में नई शिक्षक नियुक्ति नियमावली को मंजूरी दी गई थी। तब से अब तक इस नियमावली में कई संशोधन किए गए, लेकिन इसका हो रहा विरोध थमता नजर नहीं आ रहा है।
इस दौरान मंगलवार को हुई मंत्रिमंडल की बैठक में नियमावली में किए गए एक और संशोधन ने आग में घी का काम किया और नियमावली का विरोध और तेज हो गया। दरअसल, इस बैठक में मंत्रिमंडल ने नियमावली में संशोधन करते हुए शिक्षक नियुक्ति में बिहार के स्थानीय निवासी होने की अर्हता को समाप्त कर दिया। इसके तहत अब देश के सामान्य वर्ग का कोई भी अभयर्थी यहां शिक्षक नियुक्ति की होने वाली परीक्षा में शामिल हो सकता है।
बिहार प्रारंभिक युवा शिक्षक संघ के दीपांकर गौरव कहते हैं कि देश के 14 राज्यों में शिक्षक बहाली में स्थानीयता लागू है, लेकिन बिहार में इसे समाप्त कर दिया गया। उन्होंने कहा कि बिहार के लोग अन्य राज्यों में शिक्षक नहीं बन सकते जबकि यहां बाहर के ही लोग आएंगें, तो आखिर हमलोग कहां जाएं। इस बीच, संशोधन में हो रहे विरोध के बीच शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर द्वारा बिहार के युवाओं के संदर्भ में दिया गया बयान सरकार की फजीहत करा रहा है। शिक्षा मंत्री ने कहा कि हमलोगों के लिए एक समस्या है कि गणित, भौतिकी, रसायन शास्त्र और अंग्रेजी अभ्यर्थी नहीं मिल पाते है और सीटें खाली रह जाती हैं। देश के विभिन्न राज्यों में जो योग्य विद्यार्थी बेरोजगार हैं, वे यहां शिक्षक नियुक्ति में भाग ले सकेंगे।
उल्लेखनीय है कि बिहार में करीब 1.70 लाख शिक्षकों की भर्ती की प्रक्रिया शुरू हुई है। इधर, शिक्षक नियुक्ति में स्थानीय को अर्हता से हटाने के बाद शिक्षक संघ और अभ्यर्थियों ने आंदोलन तेज करने की चेतावनी दी है। इस बीच, भाजपा और सरकार को बाहर से समर्थन दे रही भाकपा माले ने स्थानीय अर्हता को समाप्त करने पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है।
राजद के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी हालांकि कहते हैं कि संविधान और नियम के मुताबिक कोई भी संशोधन किया जाता है। उन्होंने कहा कि सरकार की प्राथमिकता बिहार में गुणवतापूर्ण शिक्षा देने की है। उन्होंने यह भी कहा कि शिक्षक अभयर्थियों को धैर्य से काम लेना चाहिए।
भाकपा माले के राज्य सचिव कुणाल ने कहा कि झारखंड में प्राथमिक शिक्षक बहाली में शत प्रतिशत डोमिसाइल लागू है। मध्यप्रदेश में भी यह नीति लागू है। इसलिए बिहार सरकार को अपने युवा बेरोजगारों के बारे में चिंतित होना चाहिए और तर्कसंगत फैसला व रास्ता अपनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि शिक्षक बहाली की चल रही प्रक्रिया के बीच अचानक डोमिसाइल नीति को हटा देना बेहद अप्रत्याशित और अनुचित है, इससे बिहार के छात्रों का हक मारा जाएगा और पहले से ही आक्रोशित शिक्षक संगठनों व अभ्यर्थियों का आक्रोश और भड़केगा।