विज्ञान की नया चमत्कार...27 साल पुराने भ्रूण से पैदा हुई स्वस्थ्य बच्ची

अमेरिका के टेनेसी राज्य में 26 अक्टूबर को एम्ब्रयो फ्रीजिंग तकनीक से एक बच्ची का जन्म हुआ।

Update: 2020-12-03 18:24 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | अमेरिका के टेनेसी राज्य में 26 अक्टूबर को एम्ब्रयो फ्रीजिंग तकनीक से एक बच्ची का जन्म हुआ। विज्ञान की दुनिया में यह किसी चमत्कार से कम नहीं है। यह एक रिकॉर्ड है, जब 27 साल पहले फ्रीज कराए कराए गए एम्ब्रयो (भ्रूण) से किसी बच्ची का जन्म हुआ। दुनियाभर में इस मामले की चर्चा है और यह बांझपन से जूझ रही महिलाओं के लिए उम्मीद की किरण भी है। आइए बताते हैं कि यह तकनीक क्या है? बच्ची का जन्म कैसे हुआ...

बच्ची का नाम मॉली एवरेट रखा गया। मॉली गिब्सन का जन्म विज्ञान की दुनिया में निसंतान दंपतियों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। दिलचस्प बात ये है कि मॉली की मां टीना गिब्सन खुद 28 साल की है। वर्ष 1992 में एक महिला द्वारा फ्रीज कराए गए भ्रूण को टीना में 12 फरवरी, 2020 ट्रांसप्लांट किया गया। यह अब तक का सबसे लंबे समय तक फ्रीज किया हुआ भ्रूण है, जिससे किसी बच्ची का जन्म हुआ। टीना ने 26 अक्तूबर को मॉली को जन्म दिया। अभी मॉली का वजन 3 किलो है और वह स्वस्थ है।
भ्रूण के जरिये यह दूसरी बेटी
टीना का कहना है कि उनके पति बेंजामिन गिब्सन सिस्टिक फायब्रोसिस के मरीज हैं। यह बीमारी बच्चा पैदा करने में बड़ी बाधा है। इसलिए हमनें दोबारा एम्ब्रयो फ्रीजिंग से बच्चे को जन्म देने का फैसला किया था। 2017 में इसी तकनीक से मेरी पहली बेटी का जन्म हुआ था।
टीना के मुताबिक, शादी के कई साल बाद बच्चा न होने पर इस तकनीक की जानकारी मुझे मेरे पिता से मिली। उन्हें एक मैग्जीन से एम्ब्रयो फ्रीजिंग तकनीक की जानकारी मिली। उन्होंने मुझे यह बात बताई। हमने इस तकनीक के बारे में जानकारी जुटाई और नेशनल एम्ब्रयो डोनेशन सेंटर पहुंचे। यहां आगे की प्रक्रिया शुरू हुई।
बच्ची ने तोड़ा अपनी बहन का रिकॉर्ड
टीना की पहली बेटी एमा का जन्म भी इसी तकनीक से 2017 में हुआ। एमा का भ्रूण 24 साल पुराना था। अब 27 साल पुराने भ्रूण से दूसरी बेटी का जन्म हुआ, जो एक रिकॉर्ड है।
क्या है एम्ब्रयो फ्रीजिंग तकनीक
जर्नल ह्यूमन रिप्रोडक्शन के मुताबिक, जब महिला कंसीव करती है, तो भ्रूण का विकास शुरू होता है। गर्भावस्था के 8 हफ्ते तक इसे भ्रूण ही कहते हैं। कई दंपति इस भ्रूण को फ्रीज कराते हैं ताकि भविष्य में जब मां बनना हो, तो इसका प्रयोग कर सकें। इसके अलावा कुछ दंपति इसे डोनेट भी कर देते हैं ताकि बांझपन से जूझ रहीं महिलाएं मां बन सकें। इसका इस्तेमाल रिसर्च में किया जाता है।
भ्रूण को ऐसे किया जाता है फ्रीज
कोई महिला भ्रूण को फ्रीज कराना चाहती है, तो उसे पहले डॉक्टर कुछ हार्मोन्स के इंजेक्शन या दवाएं देते हैं। इससे शरीर में एग्स (अंडे) बनने की प्रक्रिया तेज हो जाती है। इनका विकास होने के बाद डॉक्टर्स इन अंडों को बाहर निकाल लेते हैं। इनसे भ्रूण को विकसित करके फ्रीज कर लिया जाता है। अगर महिला चाहे तो केवल अंडे को भी फ्रीज करा सकती है। वह जब भी मां बनना चाहे, तो इनका इस्तेमाल कर सकती हैं।ज्यादातर नौकरी करने वाली महिलाएं 22 से 28 साल की उम्र में एग्स फ्रीज कराती हैं ताकि भविष्य में देर से भी मां बनना चाहें तो बन सकें।


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