पार्टी को धोखेबाजों से बचाने की जरूरत: तृणमूल कांग्रेस विधायक मदन मित्रा
कोलकाता: तृणमूल कांग्रेस में कुछ अवांछित तत्वों की मौजूदगी को लेकर तृणमूल कांग्रेस विधायक मदन मित्रा 'पार्टी की छवि खराब' होने के मुद्दे पर मुखर हो गए हैं। विधायक मदन मित्रा ने पार्टी के भीतर "बिचौलियों और धोखेबाजों" के आक्रमण पर अपनी पीड़ा व्यक्त करने के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का सहारा लिया। साथ ही उन्होंने निकट भविष्य में सक्रिय राजनीति से दूर जाने का भी संकेत दिया है।
मित्रा ने कहा, “कुछ बिचौलिए और धोखेबाज, जिन्होंने पार्टी पर आक्रमण किया है, अपने बुरे कामों से माहौल खराब कर रहे हैं। मेरे दिन अब गिनती के रह गये हैं। मुझे नहीं लगता कि मैं 2026 में चुनाव लड़ने की स्थिति में रहूंगा। संभवत: सौगत रॉय 2024 में फिर से चुनाव लड़ेंगे। पार्टी नेतृत्व से मेरा एकमात्र अनुरोध है कि पार्टी को ऐसे अवांछनीय तत्वों से बचाया जाए। हम तभी बचेंगे जब पार्टी बचेगी।''
उन्होंने यह भी दावा किया कि नेता नहीं बल्कि जमीनी स्तर के कार्यकर्ता ही पार्टी की असली संपत्ति हैं। पार्टी विधायक ने कहा, “संकट के क्षणों में नेता और मंत्री पीछे हट जाते हैं, सवाल ये नहीं है कि कोई नेता या सांसद आगे आता है या नहीं, बल्कि पार्टी की असली संपत्ति उसके जमीनी स्तर के कार्यकर्ता हैं। मैं उन लोगों से नफरत करता हूं जो विपक्ष के साथ गुप्त समझौते के जरिए पार्टी को अंदर से बर्बाद कर रहे हैं।''
हाल ही में अस्पताल में भर्ती होने के बाद पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्जी के बारे में मित्रा की हालिया टिप्पणियों ने उन्हें चर्चा के केंद्र में ला दिया। मित्रा ने कहा, "अगर बुद्धदेव भट्टाचार्जी की ईमानदारी और विश्वसनीयता पर सवाल उठाया जाता है तो यह गौतम बुद्ध की ईमानदारी और विश्वसनीयता पर सवाल उठाने के बराबर है।"
मित्रा समय-समय पर विवादास्पद टिप्पणियां करने के लिए जाने जाते हैं, उन्होंने कहा था अगर उन्हें पार्टी से निकाला जाता है तो वह निजी ट्यूशन के माध्यम से कमाई का सहारा लेंगे और एक किताब लिखने पर ध्यान केंद्रित करेंगे। उन्हाेंने कहा था, ''अगर मैं कई विवादास्पद चीजों पर किताब लिखूं तो वह वास्तव में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सबसे ज्यादा बिकने वाली किताब होगी।''