मदद की जरूरत! 10 साल से विक्षिप्त है ये लड़की, आंखों के सामने नक्सलियों ने पिता को उतारा था मौत के घाट
जानिए पूरा मामला।
चतरा: झारखंड के चतरा जिले में जंजीर से जकड़ी सुशीला 10 साल से किसी फरिश्ते का इतंजार कर रही है. जब भी गांववाले सुशीला को देखते हैं, उन्हें 2006 में हुई नक्सली घटना की तस्वीर याद आने लगती है. दरअसल, सुशीला उस वक्त 10 साल की थी. उसकी आंखों के सामने नक्सलियों ने उसके पिता की निर्मम हत्या कर दी थी. घटना का बच्ची के दिमाग पर ऐसा असर पड़ा कि वह धीरे-धीरे विक्षिप्त हो गई. कई बार डॉक्टरों को दिखाया लेकिन उसकी हालत में कोई सुधार नहीं हुआ.
ये मामला गिधौर थाना क्षेत्र के बरटा गांव का है. ग्रामीणों ने बताया कि नक्सलियों ने 2006 में मुखबिरी के आरोप में फूलचंद मुंडा उर्फ फ्रांसिस टूटी की हत्या कर दी. फूलचंद को पांच बेटे-बेटियां थीं. वारदात के दौरान सुशीला 10 साल की थी. पिता की हत्या के बाद उसने बातचीत करना छोड़ दिया, गुमसुम रहने लगी. धीरे-धीरे करीब दो साल का वक्त गुजर गया. इस बीच सुशीला की दिमागी हालत दिन-ब-दिन खराब होती चली गई. वह किसी को भी देखती थी तो उसे मारने के लिए दौड़ पड़ती थी.
गांव के कई घरों में घुसकर सामान तोड़ देती थी. इसके बाद 2008 की शुरुआत में अचानक वह विक्षिप्तों जैसी हरकतें करने लगी. इसके बाद परिजन बच्ची को लेकर रांची, वेल्लोर सहित अन्य कई शहरों में डॉक्टरों के पास गए और इलाज कराया. कई लोगों की बात सुनकर ओझा के पास भी गए लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. आखिरकार परिजन ने हार मान ली और बच्ची को जंजीरों से जकड़ दिया.
सुशीला के परिजन और गांववाले कहते हैं कि डॉक्टर से लेकर ओझा तक सभी को दिखा लिया लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. सुशीला की मां शांति कच्छप गिधौर प्रखंड कार्यालय में आदेशपाल के पद पर कार्यरत है. शांति कच्छप ने बताया कि हमारी आर्थिक हालत ऐसी नहीं है कि अब हम सुशीला का इलाज करा सकें. उसे बेड़ियों में जकड़कर रखना हमारी मजबूरी है. उसे किसी फरिश्ते का ही इंतजार है. हमारी आर्थिक हालत भी खराब है.
उधर, मामले की जानकारी के बाद चतरा के एसपी राकेश रंजन ने बताया कि मेरे संज्ञान में मामला आया है. सुशीला के बेहतर भविष्य के लिए डॉक्टरों की टीम से उसका इलाज कराया जाएगा.