एनसीडीआरसी ने कहा - गैस सिलेन्डर फटने से हुई मौत के मामले में 10 लाख रुपये मुआवजा देने का दिया आदेश
गैस सिलेंडर फटने से महिला और बच्ची की हुई मौत के मामले में राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (एनसीडीआरसी) ने ब्याज सहित 10 लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया है।
गैस सिलेंडर फटने से महिला और बच्ची की हुई मौत के मामले में राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (एनसीडीआरसी) ने ब्याज सहित 10 लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया है। शिकायतकर्ता को मुआवजे की इस रकम का भुगतान गैस सिलेंडर निर्माता इंडियन आयल कारपोरेशन लिमिटेड और बीमा कंपनी न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी करेगी।
मुआवजे की 10 लाख की रकम पर साढ़े सात फीसद ब्याज भी देना होगा। यह आदेश एनसीडीआरसी के अध्यक्ष आरके अग्रवाल और सदस्य दिनेश सिंह की पीठ ने गत चार जनवरी को सुनाया है। आयोग ने मुआवजे की यह रकम चार सप्ताह के भीतर भुगतान करने का आदेश दिया है।
हालांकि आयोग के पूर्व आदेश से 5,50,000 रुपये की रकम पहले ही शिकायतकर्ता को दी जा चुकी है अब बाकी की रकम ब्याज सहित देनी होगी। गैस सिलेन्डर फटने का यह मामला लुधियाना का है। राज्य आयोग ने भी मामले में 10 लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया था जिसके खिलाफ राष्ट्रीय आयोग में अपील की गई थी।
हालांकि राष्ट्रीय आयोग ने मुआवजा अदा करने की जिम्मेदारी से गैस सिलेंडर डीलर को मुक्त कर दिया है और मुआवजे की रकम सिर्फ इंडियन आयल कारपोरेशन जो गैर सिलेंडर निर्माता था और बीमा कंपनी जिसने बीमा किया था को ही देने का आदेश दिया है। 28 जून 2005 को श्रीमती रूथ शाम को करीब सात बजे रसोई में गैस पर खाना बना रही थीं कि तभी तेज आवाज के साथ सिलेंडर फट गया।
इस दुर्घटना में श्रीमती रूथ और उनकी बेटी की मौत हो गई थी साथ ही घर को भी भारी नुकसान पहुंचा था। श्रीमती रुथ के पति और दो बच्चों ने सिलेंडर फटने को सेवा में कमी बताते हुए मुआवजे के लिए राज्य उपभोक्ता आयोग में शिकायत दर्ज की थी। राज्य आयोग ने सभी पक्षों को सुनने के बाद 10 लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया था लेकिन शिकायतकर्ता और प्रतिपक्षी दोनों ही ओर से आदेश के खिलाफ राष्ट्रीय आयोग में अपील की गई थी।
शिकायतकर्ता ने मुआवजे की राशि बढ़ाने की मांग की थी। कहा था कि श्रीमती रूथ अस्पताल में नर्स थी और 12000 रुपये महीने उनका वेतन था, राज्य आयोग ने मुआवजे की गणना इस आधार पर नहीं की है है। जबकि सिलेंडर निर्माता कंपनी इंडियन आयल और बीमा कंपनी का कहना था कि इस मामले में उनकी जिम्मेदारी नहीं बनती क्योंकि उनका शिकायतकर्ता के साथ सीधा कोई संपर्क नहीं था।
डीलर का कहना था कि उसे जिम्मेदार नहीं माना जा सकता क्योंकि वह सिर्फ गैस सिलेंडर का डीलर था सिलेंडर का निर्माण तो इंडियन आयल कारपोरेशन ने किया था। बीमा कंपनी का कहना था कि उसने शिकायतकर्ता को सीधे तौर पर कोई बीमा नहीं दिया था लेकिन आयोग ने सभी पक्षों को सुनने के बाद इंडियन आयल कारपोरेशन और बीमा कंपनी को जिम्मेदार मानते हुए मुआवजे की रकम अदा करने का आदेश दिया।