देश में मंकीपॉक्‍स या मंकी बी को लेकर खतरा और क्‍या हो रहीं तैयारियां, बता रहे हैं NCDC निदेशक

नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल का कहना है कि फिलहाल भारत के बंदरों में किसी भी प्रकार के वायरस की मौजूदगी है

Update: 2021-07-25 13:21 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क।  भारत में कोरोना की दूसरी लहर (Corona Second Wave) अभी खत्‍म नहीं हुई है साथ ही कोरोना के मामलों में कुछ बढ़ोत्‍तरी चिंता पैदा कर रही है. देश में कोरोना की तीसरी लहर की आशंका के साथ ही विदेशों में सामने आ रहे नए-नए वायरस भी देश के लिए चुनौती बढ़ा रहे हैं. हाल ही में चीन (China) में मंकी बी (Monkey B) या मंकी वायरस (Monkey Virus) नाम की बीमारी से मौत का मामला सामने आया है.

ऐसे में भारत में बंदरों की एक बड़ी संख्‍या के चलते यहां भी मंकी बी को लेकर खतरा पैदा हो गया है. भारत के तमाम बड़े शहरों में बंदरों (Monkeys) की आबादी इंसानों के बेहद करीब भी है और आए दिन इंसानों के बंदरों के संपर्क में आने, मंकी बाइट या बंदरों के हमलों के मामले भी सामने आते रहते हैं लेकिन बड़ा सवाल है कि क्‍या भारत में भी मंकी बी का खतरा मंडरा रहा है? क्‍या यहां पहले कभी बंदरों से इंसानों में फैली बीमारी का कोई मामला सामने आया है?
नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (NCDC) के डायरेक्‍टर डॉ. सुजीत कुमार सिंह ने न्‍यूज 18 हिंदी से बातचीत में बताया कि चीन में मंकी बी वायरस की चपेट में आने से एक व्‍यक्ति की मौत का मामला सामने आया है लेकिन भारत में अभी तक ऐसा कोई केस नहीं हुआ है. हालांकि कोरोना महामारी के इस दौर में कोई भी ऐसा वायरस या बीमारी यहां न आए या आने से पहले ही उसको लेकर सतर्क होने को लेकर काम किया जा रहा है.

विदेशों में मंकीपॉक्‍स का भी मामला सामने आया है. हालांकि यह चिकनपॉक्‍स परिवार से है. कॉन्सेप्ट इमेज.
डॉ. सुजीत ने बताया, 'एनसीडीसी ने मंकी बी और जानवरों से इंसानों (Animals to Human Being) में आने वाले रोगों को लेकर हाल ही में एनिमल हसबैंडरी और वाइल्‍ड लाइफ (Wild Life) से जुड़े संगठन और लोगों के साथ वर्कशॉप चल रही है. इस दौरान एक महत्‍वपूर्ण बात यह भी हुई है कि कैसे हम एक दूसरे से वाइल्‍ड लाइफ एनिमल हसबैंडरी प्‍लांट वाला और ह्यूमन वाला सर्विलांस सिस्‍टम सर्विलांस डाटा और लैब डाटा के आधार पर इंटीग्रेट करें. जिससे हम ये भी कह पाएं और जान पाएं कि किस सेक्‍टर में बीमारियों की संभावना है.
फिलहाल जो सबसे बड़ी चीज है वह यह जानने की जरूरत है कि भारत के बंदरों में किसी भी प्रकार के वायरस की मौजूदगी है भी या नहीं. अगर बंदरों में ऐसा कोई वायरस मौजूद नहीं है तो देश में मंकीपॉक्‍स (Monkey Pox) या मंकी बी को लेकर कोई रिस्‍क फैक्‍टर नहीं है. ऐसे में हमारे देश में बंदरों से लोगों में किसी भी वायरस के प्रवेश करने की संभावना तब तक नहीं है जब तक कि यहां से लोग बाहर मंकी बी से प्रभावित विदेशों के लोगों के संपर्क में नहीं आते और वहां से संक्रमित होकर यहां संक्रमण नहीं फैलाते.
भारत में बंदरों की है बड़ी आबादी
डॉ. सुजीत कहते हैं कि भारत में बंदरों की बड़ी संख्‍या है. इसलिए यह जानने की कोशिश की जा रही है कि यहां कभी बंदरों से इंसानों में कोई बीमारी पनपी है. एनसीडीसी ने हाल ही में इसके लिए एनिमल हसबैंडरी और वाइल्‍ड लाइफ से जुड़े विशेषज्ञों से यह डाटा मांगा है कि क्‍या उन्‍होंने कभी अपने सर्विलांस में ऐसा कोई केस देखा है. इसके अलावा नियमित रूप ये जूनोटिक बीमारियां (Zoonotic Diseases) जो आमतौर पर होती हैं, को लेकर डाटा भी देने के लिए कहा है. ताकि यह पता चल सके कि कौन सी ऐसी बीमारियां हैं जो जानवरों से इंसानों में जल्‍दी पहुंचती हैं. जल्‍दी ही यह डाटा एनसीडीसी से शेयर किया जाएगा.

भारत में कोरोना की तीसरी लहर का खतरा भी मंडरा रहा है.
भारत में सितंबर में कोरोना की तीसरी लहर
डॉ. सुजीत कहते हैं कि भारत में कोरोना की तीसरी लहर (Corona Third Wave) आने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता. तीसरी लहर को लेकर अलग-अलग एक्‍सपर्ट मत हैं लेकिन मुझे लगता है कि सितंबर के अंत तक या अक्‍टूबर की शुरुआत में भारत में कोविड की तीसरी लहर आने की संभावना है. इससे बचने के लिए सरकार, जनता और जिला प्रशासन के स्‍तर पर काम की जरूरत है.


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