राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह का टीकाकरण पर बयान, धार्मिक आयोजन और किसान आंदोलन सुपर स्प्रेडर
राजनीतिक रैलियां, धार्मिक जमावड़ा और किसान आंदोलन कोरोना वायरस के सुपर स्प्रेडर साबित हो रहे हैं।
राजनीतिक रैलियां, धार्मिक जमावड़ा और किसान आंदोलन कोरोना वायरस के सुपर स्प्रेडर साबित हो रहे हैं। यह कहना है टीकाकरण पर राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह (एनटीएजीआइ) के चेयरमैन डॉ. एनके अरोड़ा का। डॉ. अरोड़ा का यह बयान ऐसे समय में आया है जबकि बंगाल में चुनाव, हरिद्वार में कुंभ मेला और दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का आंदोलन चल रहा है। हालांकि, उन्होंने किसी खास आयोजन का नाम नहीं लिया है।
उन्होंने कहा, 'हम देख रहे हैं कि युवा वर्ग ज्यादा लापरवाह हो गए हैं। वे छोटे-छोटे समूहों में जमा हो रहे हैं और पार्टियां कर रहे हैं। हम सामाजिक, धार्मिक जमावड़ा, किसान आंदोलन और राजनीतिक रैलियां भी देख रहे हैं। ये सभी कोविड के सुपर स्प्रेडर हैं। जब तक ये बंद नहीं होते, कोई भी हमारी मदद कर सकता है। हमें इनके प्रति बहुत गंभीर होने की जरूरत है और आखिर में मैं कहूंगा कि ये सभी राजनीतिक और कार्यान्वयन प्राधिकरण के समर्थन से किए जाने हैं।'
लॉकडाउन लगाने की जरूरत पर जोर
डॉ. आरोड़ा ने स्थानीय परिस्थितियों के आधार पर लॉकडाउन लगाने की जरूरत पर बल दिया। परंतु, राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन का समर्थन नहीं किया। उन्होंने कहा कि हमने पिछले साल लॉकडाउन लगाया था। हमने जान लिया है कि महामारी को कैसे रोकना है। हमने यह भी देखा है कि लॉकडाउन के प्रभाव से किस तरह उबरना है।
चुनिंदा क्षेत्रों में लॉकडाउन लगाने की जरूरत
डॉ. आरोड़ा ने कहा कि अब जब रोजाना नए मामलों की संख्या लगभग दो लाख तक पहुंच गई है, हमें अपने अनुभवों के आधार पर आगे बढ़ना चाहिए। लोगों के बीच संपर्क को कम कर कोरोना वायरस के प्रसार को कम किया जा सकता है। हमें चुनिंदा क्षेत्रों में लॉकडाउन लगाने की जरूरत है। उन्होंने इसके लिए महाराष्ट्र का उदाहरण भी दिया, जिसने 15 दिनों के लिए सख्त पाबंदियां लगाई हैं।