वाराणसी। एएसआई ने ज्ञानवापी का सर्वे पूरा करने और रिपोर्ट पेश करने के लिए कोर्ट से और समय मांगा है। इस आवेदन पर सोमवार को जिला जज की अदालत में सुनवाई हुई। वहीं मुस्लिम पक्ष ने समय बढ़ाने की याचिका पर आपत्ति दाखिल की है। सोमवार को जिला जज की अदालत में मसाजिद कमेटी ने आपत्ति दाखिल कर कहा कि जो हलफनामा कोर्ट में दिया गया है उसके विपरित सर्वे किया जा रहा है। एएसआई ने सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के आदेशों का पालन नहीं किया। मसाजिद कमेटी का कहना रहा कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को जीपीआर तकनीक से सर्वे की अनुमति है, लेकिन ज्ञानवापी परिसर में जगह-जगह खोदाई की जा रही है। मलबे को ट्रक से हटाया जा रहा है। ऐसे में सर्वे के लिए समय न देकर अदालत न्याय करे। जिला जज की अदालत ने मामले की सुनवाई के लिए 8 सितंबर की तिथि तय की है। इसी दिन ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मूल वाद में लंबित अन्य आवेदनों पर भी सुनवाई होनी है। फिलहाल, सर्वे जारी है। इसकी रिपोर्ट अदालत को नहीं दी जा सकी है।
एएसआई की तरफ से स्टैंडिंग काउंसिल अमित श्रीवास्तव ने कहा कि ज्ञानवापी परिसर का एएसआई वैज्ञानिक जांच-सर्वे कर रहा है। पुरातत्वविदों, पुरालेखविदों, सर्वेक्षणकर्ताओं, फोटोग्राफर, वीडियोग्राफर और अन्य तकनीकी कर्मियों की टीम लगी है। राष्ट्रीय भूभौतिकीय अनुसंधान संस्थान (एनजीआरआई), हैदराबाद के विशेषज्ञों की एक टीम जीपीआर सर्वे कर रही है। प्राप्त आंकड़ों का विश्लेषण और अध्ययन भी किया जा रहा है। स्टैंडिंग काउंसिल ने दाखिल अर्जी के माध्यम से कहा कि सर्वे और जांच के दौरान बहुत सारी वस्तुएं मिली हैं। ढीली मिट्टी और निर्माण सामग्री है। ईंट, कचरा व मलबा मिल रहा है। वैज्ञानिक रूप से संरचनाओं की जांच करने के लिए कार्यशील फर्श के स्तर से ऊपर के मलबे आदि की सफाई जारी है। चूंकि अदालत ने सभी तहखानों की जमीन के नीचे सर्वेक्षण करने का निर्देश दिया है, इसलिए यह आवश्यक है कि वहां डंप या जमा मलबा खड़े ढांचे को कोई नुकसान पहुंचाए बगैर हटा दिया जाए। मलबा बहुत सावधानी से और व्यवस्थित ढंग से हटाया जा रहा है, जो एक धीमी प्रक्रिया है।