कृषि क्षेत्र के क्षेत्र में ऐतिहासिक विरासत छोड़ गए हैं एमएस स्वामीनाथन: ओम प्रकाश धनखड़
चंडीगढ़। भारतीय जनता पार्टी के किसान मोर्चा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष, हरियाणा के पूर्व कृषि मंत्री एवं मौजूद हरियाणा भाजपा अध्यक्ष ओम प्रकाश धनखड़ ने महान वैज्ञानिक डॉ एम.एस. स्वामीनाथन जी के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि हरित क्रांति के माध्यम से भारत को खाद्यान्न क्षेत्र आत्मनिर्भरता हासिल करने में अहम भूमिका निभाने वाले महान कृषि वैज्ञानिक एम. एस. स्वामीनाथन जी के निधन का समाचार देश भर के किसानों के लिए अति कष्टदायी है। ईश्वर दिवंगत पुण्यात्मा को श्री चरणों में स्थान एवं शोकाकुल परिवारजनों को संबल प्रदान करे। प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि श्री स्वामीनाथन जी कृषि क्षेत्र के लिए ऐतिहासिक विरासत छोड़ गए हैं। जिसके लिए देश सदा उनका ऋणी रहेगा। किसान बंधु धनखड़ ने कहा कि स्वामीनाथन जी से अनेको बार मिलने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। हर बार उनसे कृषि के क्षेत्र में नया सीखने को मिला। किसी भी मंच पर किसान हित की बात होती है तो डॉ स्वामीनाथन रिपोर्ट के योगदान की चर्चा अवश्य होती है। डॉ स्वामीनाथन अपने आप मे एक संस्थान थे। उनके निधन से मुझे व्यक्तिगत रूप से बड़ी क्षति हुई है।
भारत को अनाज में आत्मनिर्भर बनाने की उनकी उपलब्धि के लिए महान वैज्ञानिक स्वामीनाथन को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए प्रदेश अध्यक्ष धनखड़ ने कहा कि देश के इतिहास के संकट के एक काल में कृषि क्षेत्र में स्वामीनाथन के काम ने करोड़ों लोगों की जिंदगी को बदल दिया और देश के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित की थी। आजादी के बाद अनाज की भारी कमी से जूझ रहे भारत में 1960 के दशक में स्वामीनाथन के नेतृत्व में ही हरित क्रांति लाई गई। उन्होंने ज्यादा पैदावार देने वाली धान और गेहूं की किस्मों के आविष्कार में अग्रणी भूमिका अदा की जिसकी वजह से भारत के किसान 1960 के दशक के बाद से अपनी पैदावार बढ़ाने में सफल हो पाए। प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि 2004 में भारत में किसानों की आत्महत्या के बढ़ते मामलों के बीच कृषि क्षेत्र में सुधार लाने के लिए राष्ट्रीय किसान आयोग का गठन किया गया था, जिसका अध्यक्ष स्वामीनाथन को ही बनाया गया था। आयोग ने लंबे शोध के बाद सुधार के कई कदम सुझाए जिन्हें ऐतिहासिक माना जाता है। न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लिए इस आयोग ने जो फार्मूला दिया वो स्वामीनाथन फार्मूला नाम से मशहूर हुआ और किसान कल्याण की राह में इसे मील का पत्थर माना जाता है।