पीलीभीत (आईएएनएस)| मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ आलोक कुमार के नियमित निरीक्षण से पता चला है कि उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिले में पोस्टमार्टम हाउस में 500 से अधिक विसरा नमूने पड़े हैं।
कुछ नमूने 1965 के हैं।
सीएमओ ने अब डंप किए गए नमूनों की सूची पुलिस अधीक्षक को भेजकर मामले में उचित कार्रवाई करने को कहा है।
विसरा आमतौर पर शव परीक्षण के दौरान उन मामलों में संरक्षित किया जाता है, जिनमें जहर का सेवन शामिल होता है या ऐसे मामले जिनमें मृत्यु के कारण का पता नहीं चलता है। निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार, विसरा के नमूने पोस्टमार्टम के लिए ड्यूटी पर तैनात चिकित्सा अधिकारियों द्वारा संरक्षित किए जाते हैं और पुलिस द्वारा रिकॉर्ड पर प्राप्त किए जाते हैं।
सीएमओ ने कहा, फिर उन्हें पुलिस द्वारा परीक्षण के लिए फोरेंसिक प्रयोगशाला में भेजा जाता है। स्थानीय पुलिस विभाग की ओर से निश्चित रूप से लापरवाही है कि इतनी बड़ी संख्या में विसरा के नमूने लंबे समय तक परीक्षण के लिए फोरेंसिक प्रयोगशालाओं में नहीं भेजे गए थे।
ऐसे नमूनों का आमतौर पर स्थानीय पुलिस और स्वास्थ्य विभाग के समन्वय से विशिष्ट परीक्षणों के बाद फोरेंसिक प्रयोगशालाओं द्वारा निपटारा किया जाता है।
पीलीभीत के एक जनरल सर्जन डॉ बी दास ने कहा, पुराने विसरा के नमूने अब पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गए हैं। वर्तमान में फोरेंसिक परीक्षण में उनका कोई परिणाम नहीं निकेलगा।
इस बीच, एसपी दिनेश कुमार प्रभु ने कहा कि उन्होंने मामले की जांच के लिए एएसपी पवित्र मोहन त्रिपाठी के तहत पुलिस अधिकारियों का एक जांच पैनल गठित किया है।
जिलाधिकारी प्रवीण कुमार लक्षकर ने कहा कि मामले में उचित कार्रवाई की जरूरत है।
एक वरिष्ठ आपराधिक वकील अश्विनी अग्निहोत्री ने कहा कि विसरा की रिपोर्ट न होने के कारण अदालतों में संबंधित आपराधिक मामलों की सुनवाई के दौरान अभियोजन का पक्ष कमजोर रहा होगा।