100 घरों वाले गांव में 500 से अधिक कबूतर, नहीं है शिकारियों का डर
अभी तक आपने इंसानों के ही आशियाने बनते देखे होंगे।
बूंदी: अभी तक आपने इंसानों के ही आशियाने बनते देखे होंगे। लेकिन राजस्थान के बूंदी जिले में एक गांव ऐसा भी है जिसको कबूतरों का गांव कहा जाता है। मांगली नदी के किनारे बसे पक्षी प्रेमियों के गांव सांकड़दा में 500 से अधिक कबूतरों के लिए खास तरह के आशियाने बनाए गए हैं। टीन के पीपों से बनाए गए इन आशियानों में न सिर्फ कबूतर आराम करते हैं, बल्कि इसी में ही इनके खाने की व्यस्था भी रहती है।
सांकड़दा गांव में 100 घर बने हुए हैं। इसी गांव की सैकड़ों साल पुरानी बावड़ी में कभी 20-30 कबूतरों का बसेरा था। बावड़ी में सीमेंट का प्लास्टर कराने के बाद कबूतरों के आशियाने उजड़ गए। वे इधर-उधर असुरक्षित जगहों पर घोंसला बनाने लगे, जहां सांप और बिल्लियां इनका शिकार करने लगीं। कबूतरों की खत्म होती आबादी से गांव के लोग परेशान होने लगे और इन कबूतरों की आबादी को खत्म होने से बचाने के लिए एक-दूसरे से विचार-विमर्श किया। इसके बाद कुछ ही दिनों में इन पक्षियों के लिए पेड़ पर कुछ पीपे बांधे गए और ग्राइंडर से काटकर शेल्टर बना दिया गया। आज इन कबूतरों की आबादी इस गांव में रहने वाले लोगो की संख्या के बराबर पहुंच गई है।