100 घरों वाले गांव में 500 से अधिक कबूतर, नहीं है शिकारियों का डर

अभी तक आपने इंसानों के ही आशियाने बनते देखे होंगे।

Update: 2022-01-16 05:00 GMT

बूंदी: अभी तक आपने इंसानों के ही आशियाने बनते देखे होंगे। लेकिन राजस्थान के बूंदी जिले में एक गांव ऐसा भी है जिसको कबूतरों का गांव कहा जाता है। मांगली नदी के किनारे बसे पक्षी प्रेमियों के गांव सांकड़दा में 500 से अधिक कबूतरों के लिए खास तरह के आशियाने बनाए गए हैं। टीन के पीपों से बनाए गए इन आशियानों में न सिर्फ कबूतर आराम करते हैं, बल्कि इसी में ही इनके खाने की व्यस्था भी रहती है।


सांकड़दा गांव में 100 घर बने हुए हैं। इसी गांव की सैकड़ों साल पुरानी बावड़ी में कभी 20-30 कबूतरों का बसेरा था। बावड़ी में सीमेंट का प्लास्टर कराने के बाद कबूतरों के आशियाने उजड़ गए। वे इधर-उधर असुरक्षित जगहों पर घोंसला बनाने लगे, जहां सांप और बिल्लियां इनका शिकार करने लगीं। कबूतरों की खत्म होती आबादी से गांव के लोग परेशान होने लगे और इन कबूतरों की आबादी को खत्म होने से बचाने के लिए एक-दूसरे से विचार-विमर्श किया। इसके बाद कुछ ही दिनों में इन पक्षियों के लिए पेड़ पर कुछ पीपे बांधे गए और ग्राइंडर से काटकर शेल्टर बना दिया गया। आज इन कबूतरों की आबादी इस गांव में रहने वाले लोगो की संख्या के बराबर पहुंच गई है।

ग्रामीणें ने धीरे-धीरे कबूतरों के आशियानों की संख्या बढ़ाने की सोची। इसके तहत ग्रामीणों ने तेल और घी के खाली पीपे बेचने की बजाए उनसे कबूतरों का आशियाना बनाना शुरू कर दिया। गांव की चैपाल पर तार से लटकाकर बंदनवार की तरह इसे सजा दिया गया। धीरे-धीरे ये बंदनवार बढ़ती ही जा रही है। अब तक बंदनवार की पांच कतारें हो चुकी हैं। किसी बंदनवार में 35 तो किसी में 30 पीपे हैं। पांच साल से ग्रामीण इस तरह कबूतरों को बचा रहे हैं।
सांकड़दा गांव में बाहर से आने वाले बाराती, मेहमान या अन्य लोग पहली बार में पीपों की इतनी बंदनवार लटके देखकर हैरान रह जाते हैं। उन्हें इसका लॉजिक पता चलता है तो ग्रामीणों के इस काम की तारीफ करते हैं। यहां आने वाले लोग इन बंदनवार के साथ सेल्फी लेते हैं और अपने परिचितों को भी भेजते हैं।


 


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