500 से ज्यादा वकीलों ने CJI को लिखा पत्र, खास समूहों को लेकर जताई चिंता, कहा- देश की न्यायपालिक पर दबाव बनाना चाहता है

वकीलों का कहना है कि यह ग्रुप दबाव डाल रहा है ताकि फैसलों पर असर हो।

Update: 2024-03-28 05:35 GMT

फाइल फोटो

नई दिल्ली: देश के करीब 600 नामी वकीलों ने देश के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ के नाम एक चिट्ठी लिखी है। इस चिट्ठी में आरोप लगाया है कि एक खास समूह देश की न्यायपालिक पर दबाव बनाना चाहता है और उसकी संप्रभुता एवं स्वायत्तता पर हमले कर रहा है। यह चिट्ठी लिखने वाले वकीलों में हरीश साल्वे, मनन कुमार मिश्रा, अदीश अग्रवाला, चेतन मित्तल, पिंक आनंद, हितेश जैन, उदय होल्ला शामिल हैं। इन वकीलों ने साफ तौर पर लिखा है कि एक खास ग्रुप है, जो अदालत पर दबाव डालना चाहता है और उसकी स्वायत्तता को कम करने की कोशिश में है।
वकीलों का कहना है कि यह ग्रुप दबाव डाल रहा है ताकि फैसलों पर असर हो। खासतौर पर राजनीतिक लोगों से जुड़े मामलों और भ्रष्टाचार के केसों में ऐसा किया जा रहा है। वकीलों का कहना है कि ऐसी कोशिशों से देश के लोकतांत्रिक ढांचे और न्यायिक प्रक्रिया के आगे खतरा पैदा हो रहा है। वकीलों ने कहा, 'गलत नैरेटिव फैलाया जाता है और अदालत के स्वर्णिम काल जैसी बातें कही जाती हैं। कोशिश की जाती है कि मौजूदा मामलों में चल रही कार्यवाहियों को कमतर दिखाया जाए और उन पर जनता के भरोसे को कम कर दिया जाए।'
चिट्ठी लिखने वाले नामी कानूनविदों ने कहा कि यह ऐसा समूह है, जो न्यायपालिका को राजनीतिक मामलों में प्रभावित करना चाहता है। इसके अलावा अदालत के बारे में गलत नैरेटिव फैलाकर जनता में उसका भरोसा कम करना चाहता है। पत्र में किसी खास समूह या वकील का नाम नहीं लिया गया है, लेकिन माना जा रहा है कि अरविंद केजरीवाल से जुड़े मामलों में अभिषेक मनु सिंघवी की दलीलों को लेकर यह पत्र लिखा गया है। इसके अलावा कपिल सिब्बल ने पिछले सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि इस दौर को स्वर्णिम काल के तौर पर नहीं देखा जाएगा।
चीफ जस्टिस को लिखे पत्र में वकीलों ने कहा कि अब तो जजों पर सीधे हमले हो रहे हैं। यही नहीं अदालत में राजनीतिक एजेंडे को बढ़ाया जा रहा है। ऐसा व्यवहार हो रहा है कि जैसे मेरा वे ही हाईवे है। उन्होंने कहा कि जब किसी नेता को भ्रष्टाचार के मामलों में बचाने के लिए दलीलें दी जाती हैं तो सीधे अदालत पर ही सवाल उठाए जा रहे हैं। यह अच्छी बात नहीं है। इसके अलावा न्यायिक पदों पर नियुक्तियों को लेकर भी गलत टिप्पणियां की जा रही हैं।
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