टीवी डिबेट से ज्यादा प्रदूषण फैल रहा है: मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एन वी रमन्ना

Update: 2021-11-17 06:45 GMT

नई दिल्ली: दिल्ली में वायु प्रदूषण के चलते लोगों को काफी परेशानी झेलनी पड़ रही है। बता दें कि इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी। जिसपर बुधवार को सुनवाई करते हुए सर्वोच्च अदालत में जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि दिल्ली में अक्टूबर-नवंबर में चोक जैसी स्थिति हो जाती है। आखिर सालभर केंद्र और दिल्ली सरकार इसको लेकर क्या करते हैं। अदालत ने कहा कि, इस स्थिति से बचने के लिए पहले ही ख्याल क्यों नहीं आता कि इससे कैसे निपटना है।

सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एन वी रमन्ना ने कहा कि टीवी में होने वाली बहस सबसे अधिक प्रदूषण फैला रही है। वे नहीं समझते हैं। सबका अपना एजेंडा है। बता दें कि सरकार की तरफ से पक्ष रख रहे एसजी तुषार मेहता ने कहा कि मैं कुछ चीजें साफ करना चाहता हूं कि टेलीविजन मीडिया मेरे खिलाफ कुछ खबरें चला रहा है।
बता दें कि सीजेआई ने सुनवाई के दौरान केंद्र और दिल्ली सरकार से कहा कि बहुत हो गया, आखिर आप लोग कब इसको लेकर गंभीर होंगे। अदालत ने पूछा कि प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए क्या कदम उठाए गए हैं। सरकार की तरफ से कहा गया कि प्रदूषण की स्थिति को और बेहतर करने के लिए अभी और भी कदम उठाए जाएंगे।
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में 392 पेज का हलफनामा पेश किया है। इसमें दिये प्रस्ताव में कहा है कि दिल्ली के सभी स्कूल बंद रहेंगे, ऑनलाइन कक्षाओं की अनुमति दी जाएगी। वहीं केंद्र ने वर्क फ्रॉम को लेकर कहा कि वो अपने कर्मचारियों को वर्क फ्रॉम होम कराने के पक्ष में नहीं है। केंद्र की दलील है कि कोरोना काल में लगे लॉकडाउन के चलते पहले ही काम प्रभावित हुआ है। ऐसे में वर्क फ्रॉम होम मुमकीन नहीं है।
वहीं बढ़े प्रदूषण के स्तर पर सुप्रीम कोर्ट ने अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि जब दिवाली पर पटाखो पर बैन था तो इसके बाद भी पटाखे क्यों चले?

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