सरस्वती विरासत को संरक्षित करना नैतिक दायित्व

Update: 2023-09-24 11:32 GMT
चंडीगढ़। हरियाणा जल ससांधन प्राधिकरण की चेयरपर्सन केशनी आनंद अरोड़ा ने कहा कि सरस्वती नदी के उत्थान के लिए जन-जागृति अभियान की जरूरत है जिसमें सभी का सहयोग अपेक्षित है। सरस्वती विरासत को नई पीढ़ी के लिए संरक्षित करना हमारा नैतिक दायित्व है। वे शनिवार को कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के सरस्वती नदी उत्कृष्ट शोध केन्द्र तथा हरियाणा सरस्वती हेरिटेज विकास बोर्ड द्वारा "सरस्वती नदी - सभ्यता का उद्गम स्थल - जल है तो कल है" विषय पर आयोजित अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में बतौर मुख्यातिथि बोल रही थी। उन्होंने कहा कि वैदिक सभ्यता का विकास सरस्वती नदी के किनारों पर हुआ था। सरस्वती नदी आज लुप्त है लेकिन यह नदी इस क्षेत्र के लिए हजारों वर्षों तक जीवनदायिनी रही है। उन्होंने हरियाणा में गिरते भूजल स्तर को देखते हुए कृषि के लिए भूजल का उपयोग कम करने तथा सतही जल का प्रयोग करने का भी आह्वान किया। इसके साथ ही उन्होंने हरियाणा के मुख्यमंत्री द्वारा हरियाणा में जल संरक्षण के लिए संचालित योजनाओं को बारे में भी बताया। इससे पहले दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम की विधिवत शुरुआत की गई। सभी अतिथियों द्वारा सरस्वती नदी के उद्गम स्थलों को लेकर आयोजित प्रदर्शनी का भी अवलोकन किया गया।
मुख्यमंत्री के राजनीतिक सलाहकार भारत भूषण भारती ने बतौर विशिष्ट अतिथि कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 2014 में सरस्वती को धरातल पर जीवित करने का आह्वान किया था जिसके फलस्वरूप हरियाणा के मुख्यमंत्री द्वारा हरियाणा सरस्वती हेरिटेज विकास बोर्ड का गठन कर सरस्वती को धरातल पर जीवंत करने का कार्य किया। उन्होंने कहा कि सरस्वती ज्ञान की देवी है और इसी से ही वैदिक सभ्यता का विकास हुआ है। सरस्वती के जल की आवाज बद्रीनाथ से 5 किलोमीटर दूर माना गांव में सरस्वती पुल पर तीव्रता से सुनाई देती है। सरस्वती नदी के विकास के लिए यह जरूरी है कि हम इसे प्रतीक के रूप में स्थापित करते हुए पर्यावरण व पर्यटन के साथ जोड़ सकें। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा ने संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए कहा कि सरस्वती एक वास्तविकता है जो कि आज भी जमीन के नीचे विद्यमान है लेकिन अंग्रेजों की मानसिकता के कारण सरस्वती के विषय में गलत धारणाए फैलाई गई। उन्होंने कहा कि सरस्वती नदी हमारी 5000 वर्ष पुरानी सरस्वती धरोहर का प्रतीक व सभ्यता का उद्गम स्थल है। कुलपति प्रो. सोमनाथ ने केयू के जियोलॉजी, जियोफिजिक्स, एआईएच, एनएसएस एवं एनसीसी के द्वारा सरस्वती उत्थान के लिए सामुदायिक जन-जागरण अभियान आयोजित करने के बारे में कहा। उन्होंने कहा कि जल संरक्षरण अभियान के तहत केयू में वर्षा जल संचयन प्रणाली के लिए लगभग 15 रिचार्जर कार्य कर रहे हैं वहीं भविष्य में इनकी संख्या बढ़ाई जाएगी। महर्षि वाल्मीकि संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आरसी भारद्वाज ने कहा भारतीय समाज की पहचान वैदिक संकल्पना पर आधारित है। उन्होंने कहा कि सरस्वती नदी भारतीय संस्कृति का गौरव है तथा वैदिक समाज के गौरवपूर्ण इतिहास में सरस्वती नदी की महत्ता को बताया गया है।
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