आज नहीं दिखा चांद, रमजान का पहला रोजा 24 मार्च से

छग

Update: 2023-03-22 14:56 GMT

रायपुर। शाही मस्जिद फतेहपुरी दिल्ली के शाही इमाम और रुय्यते हिलाल कमेटी के प्रमुख मौलाना डॉ. मुफ़्ती मुकर्रम अहमद ने बताया कि आज देश भर में रमजान का चांद नहीं दिखने से रमजान का पहला रोजा 24 मार्च से रखा जाएगा। छत्तीसगढ़ में भी कही चांद की तस्दीक नहीं हुई है।

रमजान में इफ्तार और सहरी हमेशा ही मेहनत और ईमानदारी से कमाए गए पैसों से करनी चाहिए. गलत काम या बेईमानी से कमाए पैसों से सहरी और इफ्तार करने वाले को अल्लाह कभी मांफ नहीं करते. तरावीह वह नमाज है, जिसे रमजान के दौरान ही पढ़ा जाता है. चांद रात यानी चांद दिखने के दिन से ही इसकी शुरुआत हो जाती है और आखिरी रमजान तक इसे पढ़ा जाता है. तरावीह की नमाज सुन्नते मोक्किदा होती है. इसे मर्द और औरत दोनों पढ़ते हैं. रमजान में तरावीह न पढ़ना गुनाह माना जाता है. रमजान में रोजा रखने का उद्देश्य लोगों को अल्लाह की इबादत के करीब लाना है. रमजान में रोजे के दौरान ऐसे नियम होते हैं, जिससे कि लोग अधिक से अधिक समय अल्लाह की इबादत कर सके.
रमजान में किया जाता है इन नियमों का पालन
इस बार रमजान 2023 का महीना पूरे 30 दिन का है. आखिरी रोजा 21 अप्रैल को रखा जाएगा और इस हिसाब से इस बार ईद 22 अप्रैल को मनाई जा सकती है. रमजान के महीने में बदों को कुछ नियमों का पालन करने की सलाह दी जाती है. जानें वो नियम कौन से हैं.
रमजान के दौरान हर रोजेदार के लिए पांच वक्त की नमाज पढ़नी चाहिए.
रमजान के पवित्र महीने में ईद से पहले जकात यानी दान को जरूरी माना जाता है.
जकात में अपने सालभर की कमाई का ढाई फीसदी हिस्सा जरूरतमंदों को दान देना अच्छा मानते हैं.
रमजान के महीने में इबादत करने वाले हर शख्स को अल्लाह का शुक्रिया अदा करना चाहिए.
Tags:    

Similar News