रतनगढ़। चुनावी साल खासतौर पर जनता और नेताओं के लिए दिलचस्प होता है, जिसे आमतौर पर राजनेताओं को अपने मतदाताओं की याद दिलाने से पहले पांच साल तक नजरअंदाज किया जाता है। धीरे-धीरे रतनगढ़ विधान सभा क्षेत्र में भी चुनाव का माहौल नजर आने लगा है। इस साल पार्टी से टिकट पाने के मौके का इंतजार कर रहे उम्मीदवारों ने अभी से चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है। उम्मीदवारों के सोशल मीडिया सक्रिय हो गए हैं और कई ने अपने निर्वाचन क्षेत्र में लोगों से मिलने के लिए प्रचार और जन सभाएं शुरू कर दी हैं। रतनगढ़ विधानसभा शेखावाटी क्षेत्र की एक महत्वपूर्ण सीट रही है। इस सीट पर पिछले दो साल से बीजेपी के उम्मीदवार जीतते आ रहे हैं लेकिन इस साल लगता है बीजेपी के लिए यहां कमल खिलाना मुश्किल होगा जिसका मुख्य कारण भाजपा में स्थाई खीचतान रहेंगी। इस बार भाजपा में एक अनार सौ बीमार वाली बात सटीक बैठ रही है।
साल 2013 में पूसाराम गोदारा कांग्रेस से और राजकुमार रिणवा बीजेपी से उम्मीदवार थे, जिन्होंने बाद में 'मोदी लहर' के चलते जीत हासिल की और 2018 में यानी अगले ही चुनाव में बीजेपी ने राजकुमार रिणवा का टिकट काटकर अभिनेष महर्षि को अपना विधायक उम्मीदवार चुना जो कांग्रेसी विचारधारा के माने जाते है वही भंवरलाल पुजारी कांग्रेस के उम्मीदवार थे। इन चुनावों में राजकुमार रिणवां और पूसाराम गोदारा ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा। नतीजे काफी चौंकाने वाले थे क्योंकि कांग्रेस प्रत्याशी भंवरलाल पुजारी और पूर्व विधायक एवं निर्दलीय राजकुमार रिणवां को इतने कम वोट मिले थे, इसलिए उनकी जमानत जब्त हो गई थी. निर्दलीय चुनाव लड़े पूसाराम गोदारा महज कुछ वोटों के अंतर से करीब 59,320 वोट पाकर दूसरे स्थान पर रहे।
वही इस बार रतनगढ़ से कांग्रेस से उम्मीदवारी कर रहे इन्द्रराज खीचड़ को कांग्रेस ने चूरू का जिला अध्यक्ष बना दिया वही ऐसे में अब लग रहा की 2018 विधानसभा चुनाव में बतौर निर्दलीय उम्मीदवार को इतनी बड़ी संख्या में मिले वोटों से पूसाराम गोदारा को 2023 के चुनाव में कांग्रेस से टिकट मिलने की संभावना बढ़ गई है। पहले से ही प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सदस्य, पूसाराम जी ने अपने समर्थकों के साथ क्षेत्र में महत्वपूर्ण घटनाओं को कवर करने के लिए कार्यक्रमों, रैलियों में जाना और कांग्रेस पार्टी के राज्य स्तरीय कार्यक्रमों में लगातार सक्रिय रही है । वही पिछले दिनों पुसाराम गोदारा को राजस्थान प्रदेश कांग्रेस का महासचिव बनाकर इनकी टिकट की दावेदारी को और मजबूत कर दिया है।
वहीं, रतनगढ़ के मौजूदा विधायक अभिनेष महर्षि ने शुरुआत में अच्छा प्रदर्शन किया है, लेकिन अब लोगों की शिकायत है कि वह जनता के संपर्क से बाहर हैं। लोगों के बीच न जाना, जनता के साथ कम बातचीत करना, अपने निर्वाचन क्षेत्र में जनता के मुद्दों को हल न करना, यही कारण है कि कई लोग इस साल के चुनाव में उनकी दावेदारी को कमजोर मान रहे है। हालांकि पिछले कई वर्षो से राजस्थान में एक ही सरकार दोबारा सत्ता में नहीं आई है, लेकिन स्थानीय स्तर पर विधायकों का प्रदर्शन नतीजे तय करेगा। अब देखना ये होगा कि आख़िर कांग्रेस किसे टिकट देगी ? इस बार किसी नए उम्मीदवार को टिकट देकर 2018 वाली गलती नहीं करके पूसाराम गोदारा को ही अपना उम्मीदवार बनाने की कवायद में जुटी हुई है।