Monsoon Session: पहले दिन ही भारी पड़ गया सत्तापक्ष

Update: 2024-08-28 10:16 GMT
Shimla. शिमला। हिमाचल विधानसभा के मानसून सत्र के पहले दिन ही सत्तापक्ष विपक्षी दल भाजपा पर भारी पड़ गया। अब इसे कमजोर रणनीति कहें या हरियाणा और जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव में लगी भाजपा विधायकों की ड्यूटी का असर, लेकिन विपक्ष सत्र के पहले दिन न आक्रामक दिखा, न ही एकजुट। पहले ही दिन कार्य स्थगन प्रस्ताव लॉ एंड ऑर्डर पर लाने के कारण विपक्ष ने अपनी ही सांसद कंगना रणौत पर हंगामा करवा लिया। नौबत वोटिंग कर प्रस्ताव पास करने की आ जाती, यदि नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर समय पर सदन में आकर हस्तक्षेप न करते, जबकि कानून एवं व्यवस्था पर ही अन्य नियम के तहत चर्चा भाजपा विधायकों ने ही पहले मांग रखी थी। पहले दिन तीन पूर्व विधायकों के निधन के शोक प्रस्ताव के कारण प्रश्नकाल के लिए समय नहीं बचा था। इसलिए हो सकता है कि काम रोको प्रस्ताव को सही समझा गया हो, लेकिन बद्दी की गैंगवार को इसमें उठाने से बात नहीं बनी और सत्ता पक्ष में से मुख्यमंत्रीए उपमुख्यमंत्री और संसदीय कार्य मंत्री ने इस पर सवाल उठा दिए। सर्वदलीय बैठक का बहिष्कार कर जो तेवर सत्र शुरू होने से पहले विपक्ष ने दिखाए थे, सदन के
भीतर वे भी नहीं दिखे।

भाजपा के कई विधायक इस सत्र में दिखे ही नहीं। बताया गया कि चुराह से हंसराज और बड़सर से इंद्रदत्त लखनपाल जैसे कुछ विधायक विधानसभा चुनाव की ड्यूटी पर पड़ोसी राज्यों में हैं। कुछ और एमएलए भी सत्र के दौरान जाने वाले हैं। विधानसभा के मानसून सत्र से पहले सरकारी स्कूलों और संस्थाओं को बंद करने के अलावा बिजली तथा पानी की सबसिडी वापस लेने से लेकर सरकारी रोजगार के अवसर कम होने के मामले उठे थे, लेकिन विपक्ष ने पहले दिन इनमें से किसी को नहीं लिया। यहां तक कि हमीरपुर से मंडी नेशनल हाईवे 70 की खराब स्थिति का मसला भी धर्मपुर से कांग्रेस विधायक चंद्रशेखर ने उठाया। भाजपा विधायक विपिन सिंह परमार ने नगरोटा बगवां के ट्रांसपोर्टर से हुई ठगी का मामला उठाया, तो इसके जवाब में सरकार की तरफ डिप्टी सीएम ने क्रिप्टो करंसी का रैकेट बता दिया। प्राकृतिक आपदा से हुए नुकसान पर भाजपा और कांग्रेस विधायकों द्वारा लाए गए प्रस्ताव के हस्तक्षेप में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने उनकी सरकार में दिए गए पैकेज के आंकड़े रख दिए। इस बार मानसून सत्र 10 दिन का है, इसलिए इतनी लंबी अवधि में पहले दिन की टोन सेट करना जरूरी होता है। यह मौका विपक्ष चूक गया है। अब आगे क्या रुख रहेगा, ये अगले नौ दिन बताएंगे।
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