नई दिल्ली: पटियाला हाउस अदालत ने मंगलवार को ऑल्ट न्यूज के सह संस्थापक मोहम्मद जुबैर की पुलिस हिरासत की अवधि चार दिन के लिए बढ़ा दी। पुलिस ने धार्मिक भावनाएं भड़काने के आरोप में जुबैर को सोमवार की शाम गिरफ्तार किया था। पुलिस ने दावा किया कि आरोपी ने लैपटॉप और मोबाइल से डाटा मिटाया है, जिसकी बरामदगी की जानी है।
पटियाला हाउस कोर्ट स्थित मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट स्निग्धा सरवरिया ने कहा कि जुबैर जांच में पुलिस का सहयोग नहीं कर रहा है। साथ ही ट्वीट के लिए इस्तेमाल इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस की बरामदगी बाकी है। यह टिप्पणी करते हुए उन्होंने जुबैर की पुलिस हिरासत की अवधि चार दिन के लिए बढ़ा दी, ताकि फोन और लैपटॉप की बरामदगी के लिए पुलिस उसे बेंगलुरु ले जा सके। पुलिस ने हिरासत की अवधि पांच दिन बढ़ाने की मांग की थी। अदालत ने यह आदेश तब दिया, जब दिल्ली पुलिस ने कहा कि आरोपी सहयोग नहीं कर रहा है और उसका मोबाइल फोन/लैपटॉप बेंगलुरु स्थित घर से बरामद करना है।
जुबैर की ओर से अधिवक्ता वृंदा ग्रोवर ने कहा कि उनके मुवक्किल ने ट्वीट में जिस फोटो का इस्तेमाल किया है, वह ऋषिकेश मुखर्जी द्वारा 1983 बनाई गई एक पुरानी हिंदी फिल्म 'किस्सी से ना कहना' की है और फिल्म पर प्रतिबंध नहीं लगाया गया था। हालांकि अदालत नेकहा कि इससे आरोपी की सहायता नहीं होती। अदालत ने जुबैर को दो जुलाई को दोबारा पेश करने और मेडिकल जांच का आदेश दिया।
आरोपी की ओर से पेश अधिवक्ता वृंदा ग्रोवर ने अदालत में पुलिस हिरासत की अवधि बढ़ाए जाने की मांग का विरोध किया। उन्होंने कहा कि पुलिस शक्ति का दुरुपयोग कर रही है। पुलिस ने किसी अन्य मामले में मुवक्किल को पूछताछ के लिए बुलाया लेकिन उन्हें जल्दबाजी में गिरफ्तार कर लिया। अधिवक्ता ने कहा कि उनकी टीम के वकील ने एक ऑनलाइन टीवी चैनल से रिमांड अर्जी की प्रतियां डाउनलोड कीं। पुलिस ने अभी तक उन्हें प्रति नहीं दी है।
मोहम्मद जुबैर बेंगलुरु का रहने वाला है। वह पहले एक आईटी कार्यकारी के रूप में काम करता था। इसके बाद साल 2017 में जुबैर ने प्रतीक सिन्हा के साथ मिलकर ऑल्ट न्यूज को फैक्ट चेक वेबसाइट के रूप में लॉन्च किया। वह इसका सह संस्थापक है।
ऑल्ट न्यूज़ के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर के खाते में कुछ दिनों में करीब 50 लाख रुपये आने का पता चला है। पुलिस टीम इस बात का पता लगा रही है कि ये रुपये कहां से और किस मकसद से भेजे गए। दिल्ली पुलिस सूत्रों की मानें तो आरोपी के खाते में हुए लेन-देन की जांच की जा रही है।