मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दी अहम जानकारी, बताया कोरोना संक्रमित की मौत को कब कोविड डेथ नहीं माना जाएगा

Update: 2021-06-20 12:21 GMT

कोरोना से मौत पर मुआवजे की मांग के लिए सुप्रीम कोर्ट में जो अर्जी दाखिल की गई थी, उसपर केंद्र सरकार ने हलफनामा दाखिल करते वक्त दो अहम बातें कही हैं. पहली बात यह कि केंद्र सरकार हर कोरोना मौत पर परिजनों को 4-4 लाख रुपये का मुआवजा नहीं दे सकती. क्योंकि ऐसा करने पर SDRF का फंड खत्म होने की आशंका है. अब सोमवार (21 जून) को अगली सुनवाई होगी.

दूसरी अहम बात यह कि जितने भी कोरोना मरीजों की मौत हुई हैं, सबको कोविड डेथ माना जाएगा. साथ ही साथ तय नियमों को सख्ती से पालन नहीं करने वाले डॉक्टर्स के खिलाफ सख्त एक्शन की बात कही गई है.
कोविड डेथ मानने का क्या मतलब है?
मतलब कि अगर किसी शख्स को कोई और गंभीर बीमारी भी थी. और उस बीच उसको कोरोना संक्रमण हुआ, फिर उसकी मौत हुई तो उसे कोविड से हुई मौत ही माना जाएगा. लेकिन केंद्र ने हलफनामे में कुछ और चीजें भी साफ की हैं, इसमें कहा गया है कि अगर साफ तौर पर मौत की वजह कोरोना नहीं कुछ और दिख रही है, तो उसे कोरोना से हुई मौत नहीं माना जा सकता. इसमें उदाहरण के तौर पर अचानक हुआ हादसा, जहर खाना, हार्ट अटैक आदि शामिल हैं.
दरअसल, दायर याचिका में कहा गया था कि कोरोना पीड़ितों के मृत्यु प्रमाणपत्र में मौत के कारण में कोरोना का जिक्र नहीं है, जिससे परिवारों को मुआवजा मिलने में मुश्किल हो सकती है. इसपर कोर्ट ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा था कि कोरोना से मौत होने पर भी डेथ सर्टिफिकेट पर हार्ट फेल या फेफड़ों में समस्या क्यों लिखा गया है.
अब केंद्र सरकार ने अपने हलफनामे में कहा है कि कोरोना की वजह से हुई मौत को मृत्यु प्रमाणपत्रों में मृत्यु की वजह के तौर पर COVID के रूप में प्रमाणित किया जाएगा. साथ ही साथ कोरोना मौतों को प्रमाणित करने में विफल रहने पर संबंधित पदाधिकारी डॉक्टर्स पर दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी.
सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में केंद्र और राज्य सरकारों को आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 के तहत कोरोना से हुई मौतों के लिए परिजनों को 4-4 लाख रुपए मुआवजा देने की मांग की गई थी.
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