Moderna Vaccine in India:2022 में भारत को कोरोना की एक खुराक वाली वैक्सीन दे सकेगी मॉडर्ना, 2021 तक सप्लाई फुल

भारत सरकार की अमेरिकी फार्मास्युटिकल प्रमुख मॉडर्ना के साथ अपनी mRNA टेक्नोलॉजी-आधारित कोरोनावायरस बीमारी (कोविड -19) वैक्सीन को देश के वैक्सीन कार्यक्रम का हिस्सा बनाने के लिए 2022 तक का समय लग सकता है

Update: 2021-07-24 03:14 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। भारत सरकार की अमेरिकी फार्मास्युटिकल प्रमुख मॉडर्ना के साथ अपनी mRNA टेक्नोलॉजी-आधारित कोरोनावायरस बीमारी (कोविड -19) वैक्सीन को देश के वैक्सीन कार्यक्रम का हिस्सा बनाने के लिए 2022 तक का समय लग सकता है. एक आंतरिक सरकारी रिपोर्ट के अनुसार अमेरिकी कंपनी की सप्लाई 2021 तक पूरी तरह से बुक हो चुकी है, जिस वजह से साल 2022 में ही भारत को मॉडर्ना की सप्लाई मिल सकती है.

सरकार ने विदेशी मैन्युफैक्चरर से कोविड -19 टीकों की खरीद से संबंधित मुद्दों से निपटने के लिए नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) की अध्यक्षता में वरिष्ठ अधिकारियों की पांच सदस्यीय टीम का गठन किया है. इस टीम में विदेश मंत्रालय और स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों के साथ और कानूनी मामलों का विभाग भी शामिल है. रिपोर्ट में कहा गया है कि मॉडर्ना ने अगले कुछ सालों में भारत में मॉडर्ना टीकों के उत्पादन के लिए चर्चा में रुचि दिखाई है.

अभी भारत में तीन कोविड टीके उपलब्ध
अभी भारत में तीन कोविड टीके, कोवैक्सिन, कोविशील्ड और स्पुतनिक उपलब्ध हैं. गुरुवार शाम तक देशभर में 88 लाख लोगों को पूरी तरह से टीका लगाया जा चुका है और आंशिक रूप से (एक खुराक) 242.5 मिलियन लोगों को टीका लगाया जा चुका है. पूरे वयस्क आबादी को पूरी तरह से टीका लगाने के लिए साल के अंत तक और 1.5 बिलियन खुराक की आवश्यकता है. सरकार पहले ही कह चुकी है कि इस साल के आखिर तक देश में सभी लोगों को कोरोना की वैक्सीन लग जाएगी.

हाल ही में अमेरिका में किए गए एक अध्ययन के अनुसार जिन लोगों ने फाइजर और मॉडर्ना की कोविड-19 वैक्सीन ली हैं, उनमें यह बीमारी होने की संभावना 91 प्रतिशत तक कम होती है. अध्ययन के अनुसार ये वैक्सीन लोगों में लक्षणों की गंभीरता और संक्रमण अवधि को भी कम करती हैं. ये अध्ययन 30 जून को 'न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन' में प्रकाशित हुआ है. फाइजर और मॉडर्ना की एमआरएनए वैक्सीन में लोगों की कोशिकाओं के लिए सार्स-सीओवी-2 की स्पाइक प्रोटीन बनाने के लिए अनुवांशिक शक्ति होती हैं.


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