मिशाल: परीक्षा में संस्कृत में मुस्लिम युवती ने किया टॉप, अब मिलेगा गोल्ड मेडल, पढ़े पूरी कहानी
शिक्षा का कोई धर्म नहीं होता है ये आज एक बार फिर साबित हो गया.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क: शिक्षा का कोई धर्म नहीं होता है ये आज एक बार फिर साबित हो गया. ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि राजस्थान के सवाई माधोपुर की रहने वाली मुस्लिम युवती अस्मत परवीन संस्कृत व्याकरण आचार्य में गोल्ड मेडल पाने वाली एकमात्र मुस्लिम महिला बन गई हैं. सवाई माधोपुर जिले के बौंली कस्बे में पली बढ़ी अस्मत परवीन मदरसा से संस्कृत व्याकरण आचार्य में गोल्ड मेडल पाने तक का सफर तय किया है. अस्मत परवीन ने इस सफलता को वो भी तब हासिल किया है जब उसे परीक्षा केन्द्र पर पांच मिनट लेट पहुंचने पर परीक्षा देने से रोका गया था.
सवाई माधोपुर के बौंली में मध्यम वर्गीय मुस्लिम परिवार में पली बढ़ी अस्मत परवीन की शुरुआती शिक्षा मदरसे में हुई. अस्मत के पिता मंजूर आलम शिर्वानी जो पेशे से सरकारी विद्यालय में प्राचार्य रहे, उन्होंने अपनी 7 संतानों को पढ़ाने का निश्चय किया. तीसरे नंबर की बेटी अस्मत परवीन मदरसे के बाद निजी स्कूल में पढ़ने लगीं. बौली कस्बे के संस्कृत महाविद्यालय के प्रोफेसर डॉ धर्म सिंह के मार्गदर्शन में अस्मत ने संस्कृत विषय को अपना मुस्तकबिल बना लिया. अपनी बहनों से प्रेरित होकर अस्मत ने शास्त्री परीक्षा अच्छे अंकों से पास की और संस्कृत व्याकरण में आचार्य (एक प्रकार की डिग्री) करने का निश्चय लिया.
अस्मत परवीन पहली मुस्लिम है जिसे सूबे के एकमात्र जगद्गुरु रामानंदाचार्य राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय द्वारा गोल्ड मेडल के लिए जारी 14 प्रतिभाओं की सूची में शुमार किया गया है. हालांकि इस मुकाम तक पहुंचने से पहले अस्मत को एक कड़ी परीक्षा भी देनी पड़ी. दरअसल अस्मत को विषय परिवर्तन के चलते परीक्षा केन्द्र पर 10 मिनट पहले पहुंचना था लेकिन परीक्षा केंद्र की दूरी की वजह से वो पांच मिनट लेट पहुंची. इसी वजह से अस्मत को परीक्षा देने से रोक दिया गया 25 मिनट बाद अस्मत को परीक्षा में बैठने की मंजूरी मिली थी और उसके बाद भी उसने वो कमाल कर दिखाया जिसकी किसी ने उम्मीद भी नहीं की थी. विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित दीक्षांत समारोह में अस्मत को सम्मानित किया जाएगा. अस्मत भविष्य में संस्कृत भाषा में पीएचडी कर कॉलेज प्रोफेसर बनना चाहती हैं.