शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) एक अंतर सरकारी संगठन है, जिसमें आठ सदस्य देश भारत, चीन, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, रूस, पाकिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान, चार पर्यवेक्षक देश तथा चौदह "संवाद सहयोगी" राष्ट्र शामिल हैं।
भारत वर्ष 2023 के लिए शंघाई सहयोग संगठन की अध्यक्षता कर रहा है। भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय ने 9 से 11 फरवरी 2023 तक एससीओ पर्यटन मार्ट का सफलतापूर्वक आयोजन पूरा किया है। शंघाई सहयोग संगठन विशेषज्ञ स्तरीय पर्यटन कार्य समूह की बैठक और काशी (वाराणसी) में एससीओ पर्यटन मंत्रियों की 13 से - 18 मार्च 2023 तक आयोजित बैठक के दौरान पर्यटन में सहयोग के विकास पर एससीओ सदस्य देशों की सरकारों के बीच समझौते को लागू करने के लिए संयुक्त कार्य योजना पर चर्चा की गई। शंघाई सहयोग संगठन के सदस्य देशों के विशेषज्ञों ने सहयोग के क्षेत्रों के तहत विभिन्न गतिविधियों को प्राथमिकता दी है, जिनमें एससीओ पर्यटन ब्रांड को बढ़ावा देना, पर्यटन में एससीओ सदस्य राष्ट्रों की सांस्कृतिक विरासत को विस्तार देना, पर्यटन में सूचना एवं डिजिटल प्रौद्योगिकी को साझा करना और उनका आपस में आदान-प्रदान करना, चिकित्सा व स्वास्थ्य पर्यटन के लिए आपसी सहयोग को बढ़ावा देना तथा सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार करना शामिल हैं।
शंघाई सहयोग संगठन सदस्य देशों में संस्कृतियों एवं परंपराओं का विविध मिश्रण है, जो उनके व्यंजनों में समुचित रूप से नजर आता है। एससीओ देशों के व्यंजन सभी भोजन प्रेमियों को अनूठा आनंद प्राप्त करने का अवसर प्रदान करेंगे। संयुक्त राष्ट्र ने इस संदर्भ में जागरूकता पैदा करने और मोटे अनाज के उत्पादन तथा खपत को बढ़ाने के उद्देश्य से साल 2023 को मोटे अनाज का अंतर्राष्ट्रीय वर्ष घोषित किया था। अंतर्राष्ट्रीय वर्ष के उत्सव को मनाने का मुख्य लक्ष्य मोटे अनाज को बढ़ावा देना है क्योंकि वे जलवायु के अनुकूल होते हैं और उनका भोजन में इस्तेमाल करने से दुनिया को कम से कम छह संयुक्त राष्ट्र-अनिवार्य सतत विकास लक्ष्यों को पूरा करने में सहायता मिल सकती है।
भारत सरकार ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में अंतर्राष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष (आईवाईएम) 2023 के प्रस्ताव को प्रायोजित किया है, जिसे संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) द्वारा स्वीकार कर लिया गया है। यह घोषणा भारत सरकार के लिए अंतर्राष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष मनाने के काम में सबसे आगे रहने के लिए सहायक रही है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने भारत को 'मोटे अनाज के लिए वैश्विक हब' के रूप में स्थापित करने के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष 2023 को 'जन आंदोलन' बनाने के लिए अपनी दूरदर्शिता भी साझा की है।