Himachal प्रदेश में बिना पंजीकरण गांवों में घूम रहे प्रवासी

Update: 2024-09-08 10:00 GMT
Shimla. शिमला। हिमाचल प्रदेश में बढ़ रही प्रवासियों की संख्या प्रदेश के लोगों की सुरक्षा के लिए खतरा उत्पन्न कर सकती है। पिछले कुछ वर्षों में हिमाचल प्रदेश में प्रवेश करने और आवागमन करने वाले प्रवासियों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है। हालांकि प्रवासन अपने आप में कोई समस्या नहीं है और अकसर बेहतर अवसरों की खोज से प्रेरित होता है, लेकिन हिमाचल प्रदेश में जिस तरह प्रवासियों की संख्या बढ़ रही है, उसने कई चिंताएं उत्पन्न कर दी हैं। इन प्रवासियों में से एक बड़ी संख्या को सडक़ पर सामान बेचते हुए, हिंदू संतों के रूप में भिक्षा मांगते हुए और अन्य अनौपचारिक आर्थिक गतिविधियों में, विशेष रूप से फेरीवालों के रूप में हिमाचल प्रदेश के शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में देखा गया है। इस स्थिति की सबसे चिंताजनक बात है कि प्रदेश के पुलिस थानों में इन प्रवासियों का सही तरीके से पंजीकरण
नहीं किया जा रहा है।

जहां पंजीकरण किया भी जा रहा है, वहां भी ऐसा लगता है कि उनके दस्तावेजों की उनके संबंधित राज्यों के पुलिस थानों से पूरी तरह से जांच नहीं की जा रही है। प्रदेश में कई जगहों पर लोगों ने अपने स्तर पर प्रवासियों की जांच शुरू कर दी है। इसके अलावा, यह देखा गया है कि इन प्रवासियों में से एक समान रूप से बड़ी संख्या के आधार कार्ड पर जन्म तिथि पहली जनवरी अंकित है। इससे यह संकेत मिलता है कि इनमें से कई दस्तावेज नकली या धोखाधड़ी से प्राप्त किए गए हो सकते हैं। नकली पहचान का उपयोग प्रावासी लोगों को ट्रैक और मॉनिटर करना भी अत्यधिक कठिन बना देता है। शिमला के धामी और अटल टनल के पास स्थानीय लोग जागरूक नागरिक होने के नाते अपने स्तर पर बाहरी लोगों के आधार कार्ड की जांच कर रहे हैं। इसमें अधिकतर आधार कार्ड पर प्रवासियों की जन्म तिथि पहली जनवरी अंकित है और फोटो भी छोटे बच्चों की है। इस प्रक्रिया में कमी न केवल मानक प्रोटोकॉल का उल्लंघन है, बल्कि यह एक बड़ा सुरक्षा खतरा भी है। क्योंकि इससे इन व्यक्तियों की पहचान और इरादों का पता लगाना मुश्किल हो जाता है।
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