भारतीय रेलवे भर्ती परीक्षा विवाद पर रेल मंत्रालय की मैराथन बैठक, भर्ती प्रणाली में बदलाव के फैसले पर मंथन
भारतीय रेलवे में भर्ती परीक्षा को लेकर उठे विवाद पर रेल मंत्रालय हरकत में है। मंत्रालय में शुक्रवार को दिनभर इस मसले के समाधान को लेकर गंभीर विचार-विमर्श हुआ।
नई दिल्ली: भारतीय रेलवे में भर्ती परीक्षा को लेकर उठे विवाद पर रेल मंत्रालय हरकत में है। मंत्रालय में शुक्रवार को दिनभर इस मसले के समाधान को लेकर गंभीर विचार-विमर्श हुआ। भर्ती प्रक्रिया में रेलवे भर्ती बोर्ड स्तर पर होने वाली परीक्षा प्रणाली में बदलावों के फैसले पर विचार किया जा रहा है। लेकिन इन सारे मसलों पर गठित हाईलेवल कमेटी अपनी संस्तुति देगी। नौकरी के लिए आवेदन करने वालों की व्यावहारिक बातों पर विशेष रूप से विचार किया जाएगा। आगे होने वाली भर्ती प्रक्रिया की दोनों परीक्षाएं फिलहाल स्थगित कर दी गई हैं। उसके बारे में अंतिम फैसला कमेटी की रिपोर्ट के बाद ही लिया जा सकेगा।
देश में कुल 21 रेलवे रिक्रूटमेंट बोर्ड (आरआरबी) हैं, जो भारतीय रेलवे के कुल 68 डिवीजनों में रिक्त होने वाले पदों को सालाना आधार पर भरते हैं। याद दिलाते चलें कि वर्ष 2008-09 देश के विभिन्न आरआरबी में होने वाली भर्ती परीक्षाओं में उत्तर प्रदेश और बिहार से परीक्षा देने जाने वाले छात्र पिटते रहे हैं। चौतरफा प्रांतवाद का नारा लगने लगा। स्थानीय लोगों के विरोध के चलते देश के विभिन्न हिस्सों में भर्ती परीक्षा के दौरान कई जगहों पर कानून व्यवस्था बिगड़ जाया करती थी। इसे देखते हुए उसी दौरान सभी आरआरबी में एक साथ एक ही दिन परीक्षाएं कराई जाने लगीं। लेकिन इसमें उत्तर प्रदेश और बिहार के छात्र उन्हीं आरआरबी में आवेदन करते थे, जहां पदों की संख्या अधिक होती थी।
वर्ष 2019 में रेलवे की भर्ती के लिए कुल 1.40 करोड़ आवेदन आए। इसमें देश के सभी हिस्सों के छात्रों को एकसाथ परीक्षा देने का प्रविधान किया गया। परीक्षा का आयोजन भी सफलतापूर्वक कर लिया गया। लेकिन आवेदकों की भारी संख्या को देखते हुए परीक्षाएं दो चरण में कराने का फैसला किया गया। पहले चरण की परीक्षा में एक पद के मुकाबले कुल 20 अभ्यर्थियों का चयन किया गया। उसके बाद दूसरी परीक्षा में वास्तविक पदों के अनुरूप अभ्यर्थी चुने जाने का प्रविधान किया गया। वैसे तो परीक्षार्थियों को किसी तरह की गड़बड़ी अथवा भेदभाव से बचाने के लिए एकसाथ एक दिन परीक्षा कराई गई। मेगा परीक्षा को लेकर किसी का कोई विरोध नहीं है। हालांकि इतनी बड़ी भर्ती परीक्षा कोई पहली बार नहीं कराई जा रही है। इससे पहले भी वर्ष 2016 में इस तरह की परीक्षा सफलतापूर्वक संपन्न कराई जा चुकी है।
भाजपा के वरिष्ठ नेता व सांसद रविशंकर प्रसाद ने रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव से मुलाकात पूरे विवाद पर व्यापक चर्चा की। उन्होंने नान टेक्निकल पापुलर कैटेगरी की परीक्षा को लेकर उठने वाली आशंकाओं के समाधान और भविष्य में होने वाली रेलवे भर्ती के लिए उचित व कारगर रोड मैप बनाने का भी आग्रह किया। रेल मंत्री वैष्णव ने उन्हें आश्वस्त किया है कि पूरे मसले पर विचार करने के लिए उच्च स्तरीय कमेटी का गठन कर दिया गया है। इसमें उम्मीदवारों के विचारों व उनकी बातों को पूरी तरजीह दी जाएगी। कमेटी जल्दी ही अपनी सिफारिश प्रस्तुत करेगी। इसके लिए उसे समय पहले ही निर्धारित कर दिया गया है।
राज्यसभा सांसद व बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी ने कहा कि 'एनटीपीसी का रिजल्ट' वन स्टूटेंड-यूनिक रिजल्ट नीति के आधार पर जल्द ही जारी किया जाएगा। पीएम मोदी ने बताया कि रेलवे बोर्ड फैसला ले रहा है। छात्रों की आशंकाओं को समय पर दूर किया जाएगा। रेल मंत्री से मुलाकात में फाइनल रिजल्ट यूनिक रिजल्ट के आधार पर जारी करने का भी प्रस्ताव है। लेकिन सब कुछ कमेटी की रिपोर्ट के बाद ही संभव हो सकेगा।